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माँ के नाम से खरीदी गयी संपत्ति में पिता और भाई उत्तराधिकार में हिस्सा मांग सकते हैं।

समस्या-

मोहित ने सहारनपुर उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरी उम्र २७ वर्ष है।. मेरा एक बड़ा भाई है जो मुझसे १ या दो साल बड़ा होगा, उसकी शादी हो चुकी है। वो पिताजी के साथ रहता है ओर मैं माता जी के साथ। मेरी माता जी मेरे जन्म के वर्ष से ही ससुराल पक्ष द्वारा मारपीट किए जाने के कारण अपने मायके आ गई थी। सुलह की तमाम कोशिशों के बाद पिता जी पर मारपीट ओर भरण-पोषण का मुक़दमा दर्ज किया गया। आज २७ साल बाद भी वो मुक़दमा चल रहा है। वो थोड़ा बहुत खर्च देते है कोर्ट के द्वारा। पर इसी बीच उन्होने (वर्ष २००० के लगभग) दूसरी शादी कर ली और दूसरी पत्नी से उनको एक पुत्र, एक पुत्री है। दूसरी पत्नी, दोनो बच्चे और मेरा बड़ा भाई पिताजी के साथ ही हरियाणा के गाँव में रहते हैं जहा पिता जी का बाकी परिवार भी रहता है। ज़मीन जयदाद के नाम पर कुछ नहीं हैं केवल मकान हैं (मेरे संज्ञान मे) जिसपर मैं दावा कर सकूँ। मैंने अपना घर सहारनपुर में बना लिया है जो की मेरी मम्मी के नाम है। मैं उनपर कार्यवाही चाहता हूँ कि उन्होंने अपनी पत्नी और पुत्र के लिए कुछ नहीं किया और बिना तलाक़ लिए दूसरी शादी कर ली है। इसके लिए मुझे क्या करना होगा और क्या सबूत पेश करने होंगे।

समाधान-

प ने जिस तरह तथ्य सामने रखे हैं उस से पता लगता है कि आप अपने पिता पर कोई मुकदमा करते हैं तो भी आप को कुछ हासिल नहीं होगा। लगता है आप के मन में पिता से बदला लेने की भावना है, यह होना स्वाभाविक भी है। आखिर आप का भी हक था पिता पर। पर किसी भी तरह से बदले की भावना तो उचित नहीं है।

पहला अपराध आप के पिता ने आप की माताजी के प्रति किया था। माताजी उन के विरुद्ध दूसरी शादी के लिए पुलिस में जा सकती थीं और उन्हें सजा हो सकती थी। पर या तो माताजी ने ऐसा करना ठीक नहीं समझा या फिर पुलिस ही यह साबित करने में असमर्थ रही कि आप के पिताजी की दूसरी शादी शादी न हो कर केवल लव इन रिलेशन है। और कोई अपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती।

संपत्ति के नाम पर आप के पिता के पास मकान हैं। हो सकता है वे संयुक्त संपत्ति हों। यह भी हो सकता है कि आप की माताजी के भय से उन संपत्तियों में से पिता ने अपना अधिकार अलग कर लिया हो जिस से आप की माताजी या आप हक न जता सकें।

आप ने अपनी और अपनी माँ के लिए एक अलग दुनिया बना ली है। वह बेहतर है। पिता से बदले के चक्कर में न पड़ें। इस से आप अपने लिए बेवजह परेशानियाँ मोल लेंगे, मिलेगा कुछ नहीं। एक सलाह बिना मांगे दे रहे हैं कि आप ने अपना पैसा लगा कर सहारनपुर में जो मकान बनाया है वह माताजी के नाम से है। उसे अपने नाम हस्तांतरित करवा लें या फिर उस की पंजीकृत वसीयत अपने नाम करवा लें। आप की माताजी अभी भी आप के पिता की पत्नी हैं जिस के कारण पिता उन के उत्तराधिकारी हो सकते हैं। आप का बड़ा भाई तो उत्तराधिकारी है ही। ऐसी कोई व्यवस्था न होने पर माताजी के देहान्त के बाद आप का बड़ा भाई और पिता दोनों इस मकान में आप से हिस्सा मांग सकते हैं। इसे गंभीरता से लें।

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