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वसीयत पर न्यायालय के पू्र्व निर्णय के आधार पर मकान का बँटवारा और राजस्व रिकार्ड को ठीक कराएँ।

lawसमस्या-
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश से श्याम ने पूछा है-

मेरी समस्या ये है कि मेरे पिताजी के चचेरे बाबा ने मेरे पिता जी को मरते वक्त एक वसीयत लिख दी थी कि मेरी चल-अचल सम्पति मेरे पिताजी को मिले। उसके बाद वसीयतकर्ता के एक उत्तराधिकारी ने उस सम्पति और वसीयत के खिलाफ एक वाद किया। जिस पर अदालत ने वादी की बात नहीं मानी और वसीयत को सही मानते हुए मेरे पिताजी को समस्त सम्पति का वारिस बना दिया।  लेकिन मेरे पिताजी ने ये वसीयतनामा और अदालत का फैसला कही भी प्रदर्शित नहीं किया जिस से मेरे बाबा कि सम्पति और वसीयत में मिली सम्पति भी मेरे दोनों चाचाओं के नाम तीन हिस्से में दर्ज हो गयी। क्योंकि अभी तक परिवार सयुंक्त रूप से था लेकिन दोनों चाचाओं का देहावसान होने के बाद उनके पुत्र विवाद कर रहे हैं कि मैं कुछ नहीं जानता सारी सम्पती को तीन हिस्से में बाँटो।  जबकि उनको पैतृक बाबा की सम्पति में तीसरा हिस्सा मिलना है और वसीयत में मिली सम्पति में उनका अधिकार नहीं है। वसीयत करीब साल १९५७ की है। मेरा सवाल ये है कि समस्त कृषि भूमि मेरे पिताजी और दोनों चाचाओं के नाम दर्ज हो कर उन के पुत्रों के नाम दर्ज है। क्या अब मेरे पिताजी को मिली वसीयत वाली सम्पति मेरे पिताजी के नाम दर्ज हो सकती है? और वापस दर्ज कराने के लिए क्या करना पड़ेगा? कृषि भूमि की एक बार चकबंदी हो चुकी है। लेकिन घर के मामले में तो चकबंदी वाला कोई मामला नहीं है क्यों कि अभी लोग संयुक्त रूप से रह रहे थे। उस का बँटवारा कैसे होगा?

समाधान-

कृषि भूमि के संबंध में अलग अलग राज्यों में अलग अलग कानून हैं। हमारे पास उत्तर प्रदेश के कृषि भूमि संबंधी कानून का कोई विशेषज्ञ फिलहाल उपलब्ध नहीं है इस कारण से आप को किसी स्थानीय वकील से जो राजस्व भूमि संबंधी मामलों को देखता हो राय करनी चाहिए। आप चाहें तो इस संबंध में बाराबंकी में श्री रणधीर सिंह सुमन एडवोकेट से उन के फोन नं. 9450195427 पर बात कर के उन से व्यक्तिगत रूप से मिल सकते हैं। वे आप को इस संबध में स्वयं सलाह दे सकते हैं या फिर आप को कोई उचित वकील सुझा सकते हैं।

फिर भी हमारी राय यह है कि यदि पूर्व में वसीयत के मामले में न्यायालय का निर्णय आप के पास है तो आप उस के आधार पर राजस्व विभाग में भूमि के संबंध में जो रिकार्ड है उसे भी ठीक करवा सकते हैं और मकान का भी उसी के आधार पर बँटवारा करवा सकते हैं। मकान के बँटवारे का वाद प्रस्तुत करना चाहिए। इस वाद में वसीयत पर दिए गए पूर्व निर्णय के आधार पर आप के हिस्सों का बँटवारा हो सकता है। इस संबंध में भी श्री रणधीर सिंह सुमन आप को उचित सलाह दे सकते हैं।