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वसीयत प्राप्त संपत्ति को दुबारा दान में प्राप्त नहीं किया जा सकता।

समस्या-

पटना, बिहार से विकास कुमार ने पूछा है –

मेरे चचेरे मामा जी की कोई संतान नहीं है।  उन्होंने सिर्फ एक लड़की को गोद लिया है जिसकी शादी हो चुकी है।  अब चचेरे मामा की पत्नी ने, जो जमीन उनके नाम पर थी उसको मेरी पत्नी के नाम वसीयत कर दिया।  जिस में दत्तक पुत्र पुतोह कर के उल्लेख किया। इसके बाद मेरे चचेरे मामा की पत्नी का देहांत हो गया। अब मैं चाहता हूँ की वह संपत्ति मेरे पत्नी को बक्शीश में मिले। क्या मेरे चचेरे मामा उस सम्पति को मेरे पत्नी के नाम से बक्शीश में दे सकते है?

समाधान-

gift propertyप की समस्या एक दम काल्पनिक है।  वास्तव में आप चाहते हैं कि उक्त संपत्ति आप की पत्नी के नाम हो जाए। लेकिन वह तो पहले ही आप की पत्नी की हो चुकी है।

प ने बताया कि वह सम्पत्ति आप के चचेरे मामा जी की पत्नी के नाम थी। किसी भी स्त्री की संपत्ति उसी की संपत्ति होती है जिसे वह दान, विक्रय या वसीयत कर सकती है।  आप की मामी जी ने अपनी उक्त संपत्ति को अपने जीवित रहते आप की पत्नी के नाम वसीयत कर दिया। इस वसीयत के रहते आप की मामी जी का देहान्त हो गया। कोई भी वसीयत यदि वह वसीयतकर्ता ने अपने जीवन काल में बदल न दी हो या निरस्त न कर दी हो तो उस के देहान्त के तुरंत बाद प्रभावी हो जाती है। आप के मामले में भी वह वसीयत प्रभावी हो चुकी है। इस तरह वह संपत्ति तो आप की पत्नी की पहले ही हो चुकी है। अब जो संपत्ति आप की पत्नी हो चुकी है उसे आप के मामा जी आप की पत्नी को बख्शीश (दान) कैसे कर सकते हैं।

मुझे लगता है कि आप की शंका इस लिए है कि उस वसीयत में आप की पत्नी का उल्लेख दत्तक पुत्र पतोहू के रूप में होने से निरस्त न मान ली जाए। लेकिन यदि उस वसीयत में आप की पत्नी का नाम पति के रूप में आप का नाम, उम्र व निवास स्थान सही लिखा है तो दत्तक पुत्र पतोहू लिख देने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

दूसरी ओर यदि उक्त वसीयत को निरस्त मान लिया जाए तो फिर आप की मामी जी के देहान्त के उपरान्त उक्त संपत्ति के उत्तराधिकारी केवल आप के मामाजी नहीं होंगे अपितु आप के मामा जी के साथ साथ उन की दत्तक पुत्री का भी उस में आधा हक होगा। वैसी स्थिति में आप के मामाजी केवल अपने हिस्से की आधी संपत्ति को दान कर सकते हैं। शेष आधी को भी दान करना अवैध होगा।

स कारण से आप को चाहिए कि उस वसीयत को ही वैध मानते हुए आप की पत्नी के नाम उक्त संपत्ति का नामांतरण करवाएँ। यदि आवश्यक हो तो वसीयत को प्रोबेट करवा लें। आप के मामा जी के रहते यह आसान होगा। उन की दत्तक पुत्री आपत्ति नहीं करेगी।