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वाहन विक्रय करते समय क्या सावधानी रखें?

समस्या-

2001 में मेरा ट्रांसफर लखनऊ से मुम्बई हो गया, मैं अपना स्कूटर भी ले आया।  जिसका पुलिस और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) लखनऊ से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त हो गया है और मुम्बई में चुंगी भी जमा हो गयी है।   मुम्बई में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। उक्त स्कूटर बहुत दिनों से खड़े खड़े खराब हो चुका है।  मैं उसे कबाड़ी को बेचना चाहता हूँ। उस की क्या प्रक्रिया होगी तथा क्या सावधानी रखें जिससे भविष्य में समस्या न हो?

-अजय कुमार, मुम्बई, महाराष्ट्र

कोई भी वाहन विक्रय करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस का स्वामित्व ठीक से स्थानान्तरित हो गया है।  यदि कोई भी मोटर वाहन चलाने पर कोई दुर्घटना होती है तो उस से उत्पन्न होने वाले हर्जे के दावों में दायित्व उस के पंजीकृत स्वामी पर आता है। यदि वाहन के पंजीकरण में नाम परिवर्तन हो कर नए स्वामी का नाम दर्ज न हो कर पुराने स्वामी का ही नाम बना रहे तो दुर्घटना होने पर उस के पंजीकृत स्वामी पर दुर्घटना से उत्पन्न हर्जे का दायित्व आ जाएगा जिस की कोई सीमा नहीं है।  इस दायित्व से बचने के लिए यह आवश्यक है कि बेचने वाला व्यक्ति स्वयं अपनी निगरानी में वाहन पंजीकरण में क्रेता का नाम दर्ज करवा दे।

प के मामले में आप स्कूटर को कबाड़ी को बेचना चाहते हैं। ऐसी अवस्था में पंजीकरण स्थानान्तरित करवाने का कोई औचित्य नहीं है।  सिर्फ एक विक्रय का इकरारनामा उचित मूल्य के स्टाम्पों पर दो प्रतियों में तैयार किया जा कर निष्पादित किया जाए।  जिस पर खरीददार और विक्रेता दोनों के हस्ताक्षर हों।  इस विक्रय पत्र में लिखा जाए कि विक्रेता (वर्तमान स्वामी) स्कूटर को स्क्रेप के रूप में बेच रहा है तथा क्रेता द्वारा स्कूटर का वाहन के रूप में किसी तरह से उपयोग नहीं किया जाएगा। उक्त विक्रय के इकरारनामे की एक-एक प्रति दोनों के पास अर्थात क्रेता और विक्रेता के पास रहे।  यदि विक्रय के इकरारनामे की प्रति आप के पास रहेगी तो स्कूटर को वाहन के रूप में प्रयोग करने पर भी उस से उत्पन्न होने वाला दायित्व आप पर नहीं आएगा।

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