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विक्रय संविदा के भंग के लिए दावा संविदा की तिथि से तीन वर्ष में प्रस्तुत करें

समस्या-

चित्तौड़गढ़, राजस्थान से रौनक ने पूछा है-

मैं ने एक कृषि भूमि क्रय की है जिस में यह बताया गया था कि विक्रेता उसे दो ओर से प्रवेश का मार्ग देगा। लेकिन उस ने मेरे साथ छल किया। वर्तमान में मौके पर जाने पर कोई मुझे कोई मार्ग प्राप्त नहीं हुआ। मैं जानना चाहता हूँ कि क्या यह मामला धारा 406,420 भारतीय दंड संहिता का है? मैं ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। लेकिन उन्हों ने यह कह कर कि मामला दीवानी प्रकृति का है, आरोप पत्र प्रस्तुत नहीं किया। मैं ने आपत्ति आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया है। क्या मैं पुलिस के विरुद्ध मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर सकता हूँ? क्या मुझे मेरा आपत्ति आवेदन लंबित रहते कृषि भूमि के क्रय की संविदा भंग करने पर मिलने वाले धन के लिए दावा करना चाहिए? मैं ऐसा कब तक कर सकता हूँ? इस की अवधि सीमा क्या है? धारा-251 ए काश्तकारी अधिनियम के अंतर्गत मार्ग प्राप्त करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनानी होगी?

समाधान-

प ने उक्त कृषि भूमि क्रय की है उस का विक्रय पत्र पंजीकृत हुआ होगा। क्या पंजीकृत विक्रय पत्र में लिखा है कि विक्रेता अपनी भूमि में से दो तरफ मार्ग प्रदान करेगा। यदि ऐसा है और उस ने मार्ग प्रदान नहीं किया है तो यह संविदा भंग का मामला है। तब धारा-406, 420 भा.दं.संहिता का मामला बनता है। आप पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई अंतिम प्रतिवेदन के विरुद्ध आपत्ति आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत कर चुके हैं। न्यायालय में अपनी मौखिक साक्ष्य दुबारा प्रस्तुत कर उसे निर्णीत कराएँ।

प्रथम दृष्टया देखने से नहीं लगता है कि यह मानवाधिकार का मामला है। लेकिन फिर भी मानवाधिकार आयोग को शिकायत करने में कोई हानि नहीं है। आप को करनी चाहिए।

बिना विक्रय पत्र का अध्ययन किए यह बताना संभव नहीं है कि विक्रेता ने संविदा भंग की है अथवा नहीं। यदि उस ने संविदा भंग की है तो संविदा भंग होने की तिथि अर्थात भूमि का कब्जा लेने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि में आप संविदा भंग करने और क्षतिपूर्ति प्राप्त करने हेतु दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि विक्रय पत्र में विक्रेता ने उस की भूमि में से मार्ग देने का वायदा किया था तो आप संविदा के विशिष्ट पालन का वाद भी प्रस्तुत कर सकते हैं इस के लिए भी सीमा अवधि तीन वर्ष ही है।

धारा 251 काश्तकारी अधिनियम के अंतर्गत किसी भूमि पर कोई मार्ग पहले से स्थित हो और उस में अवरोध उत्पन्न किया हो तो आप तहसीलदार को शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं उस का कर्तव्य है कि वह मामले की जाँच कर के यदि यह पाता है कि पहले से उस भूमि पर मार्ग का सुखाधिकार था और उसे अवरुद्ध किया गया है तो वह मौके पर जा कर आप को रास्ता प्रदान करेगा। लेकिन आप ने तथ्यों को जितने संक्षिप्त रुप में लिखा है उस से पता नहीं लगता कि क्या यह सुखाधिकार को अवरुद्ध करने का मामला है या नहीं?

सा प्रतीत होता है कि यह विक्रय संविदा के भंग किए जाने का मामला है और आप आप के द्वारा विक्रय के लिए अदा की गई राशि जो कि विक्रय पत्र में अंकित है उस की और क्षतिपूर्ति की राशि प्राप्त करने के लिए वाद प्रस्तुत कर सकते हैं उस के लिए भी सीमा अवधि तीन वर्ष ही है।

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