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विक्रेता का टाइटल जाँचने का काम उप-पंजीयक का नहीं।

समस्या-

प्रवीण कुमार ने सीकर राजस्थान से पूछा है-

एक भूमि सम्पति के टाइटल की कोर्ट डिक्री 2002 में मेरे पक्ष में आ चुकी है और अब प्रकरण इजराय के लिए न्यायालय में लंबित है। भूमि पर कब्जा निर्णीत ऋणी का है, उसने भूमि अन्य  को बेच दी है. क्या ये सही बेचा है? सब रजिस्ट्रार के स्तर पर कोई गलती हुई है क्या?

समाधान-

एक सब-रजिस्ट्रार/ उप-पंजीयक का काम यह देखना है कि वह जिस प्रलेख (Deed) को पंजीकृत कर रहा है उसका निष्पादन उचित रीति से हुआ है या नहीं। उस पर देय स्टाम्प ड्यूटी दे दी गयी है या नहीं। उसका कर्तव्य यह नहीं है कि वह सम्पत्ति हस्तान्तरण करने वाले के टाइटल की जाँच करे। हालाँकि आज कल विक्रेता से टाइटल वाले दस्तावेज की प्रतियाँ दिखाने को कहते हैं। इस तरह उप पंजीयक के विरुद्ध अदालत का यह आदेश नहीं है कि वह किसी सम्पत्ति विशेष का हस्तान्तरण विलेख पंजीकृत न करे तब तक उससे कोई गलती नहीं हुई है।

इस तरह के मुकदमों में जहाँ सम्पत्ति के टाइटल और कब्जे का प्रश्न उठाया गया हो हस्तान्तरण की संभावना होने पर उप-पंजीयक को पक्षकार बना कर उसके विरुद्ध अस्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त कर लेनी चाहिए जिससे हस्तान्तरण पंजीकृत नहीं हो सके। यदि ऐसे आदेश के बाद भी ऐसा पंजीकरण होता है तो उप-पंजीयक के स्तर पर दोष होना माना जा सकता है, अन्यथा नहीं।

डिक्री आपके पक्ष में हुई है। डिक्री अधिकारों की घोषणा होती है। जिस अधिकार की घोषणा डिक्री द्वारा की गयी है वह पहले से मोजूद रहता है। इस कारण निर्णीत ऋणि द्वारा सम्पति को बेचना और विक्रय पत्र का पंजीयन कराना गलत है। आप इजराय में खरीददार/ वर्तमान कब्जेदार को पक्षकार बना सकते हैं। यदि आपकी डिक्री टाइटल की घोषणा की ही है और उस में कब्जा दिलाए जाने का आदेश नहीं है तो आपको टाइटल के आधार कब्जे के लिए फिर से निर्णीत ऋणी और क्रेता/ वर्तमान कब्जेदार के विरुद्ध वाद संस्थित करना पड़ सकता है।   


Praveen Kumar
praveenkumarsaini711@gmail.com
जयपुर सीकर राजस्थान

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