विक्रेता के नाम नामान्तरण न होने पर भी क्या उस से मकान खरीदने का अनुबंध किया जा सकता है ?
|समस्या-
हम एक मकान पानीपत हरियाणा में खरीद रहे हैं। उक्त मकान के विक्रय का अनुबंध करने और अग्रिम राशि विक्रेता को देने के पहले हमने तहसील में पता किया तो उन्हों ने हमें पटवारी के पास भेजा जिस ने हमें बताया कि जिस से आप मकान ले रहे हैं उस के नाम नामान्तरण (इन्तकाल) नहीं खुला है। उस के नाम इन्तकाल खुलने पर ही आप के नाम विक्रय पत्र पंजीकृत हो सकेगा। इन्तकाल खुलने में एक-दो माह का समय लगेगा। इस मामले में विक्रयमूल्य की 10-15 प्रतिशत राशि विक्रेता को दे कर उस से मकान खरीदने का अनुबंध करने में किसी तरह का कोई खतरा तो नहीं है? हमें क्या करना चाहिए?
-दीपक कुमार, पानीपत, हरियाणा
समाधान-
आम तौर पर जब भी कोई संपत्ति खरीदने के लिए अनुबंध किया जाता है तो विक्रेता कुछ राशि अग्रिम मांगता है। यह राशि यदि संपत्ति के मूल्य की 10 से 15 प्रतिशत हो तो इस तरह राशि का अग्रिम भुगतान कर के संपत्ति क्रय करने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन आप जिस मकान को खरीदना चाहते हैं उस का अभी बेचने वाले के नाम का ही नामांतरण राजस्व रिकार्ड में नहीं हुआ है। इस का अर्थ यह है कि विक्रेता ने पहले जिस व्यक्ति से मकान खरीदा था उस से विक्रय पत्र निष्पादित करवा कर उस का पंजीयन तो करवा लिया किन्तु उस के बाद राजस्व रिकार्ड में नामान्तरण नहीं करवाया है। यह भी सही है कि नामान्तरण होने में एक-दो माह या इस से भी अधिक समय लग सकता है और उस के बिना विक्रेता आप के नाम संपत्ति के विक्रय पत्र का पंजीयन नहीं करवा सकता।
यदि आप ने खरीदी जा रही समस्त संपत्ति के स्वामित्व के मूल दस्तावेज देख लिए हों और आप विश्वस्त हों कि वे सही हैं तो आप संपत्ति को क्रय करने का अनुबंध कर सकते हैं। लेकिन आप को यह विश्वास होना चाहिए कि जिस व्यक्ति के साथ आप यह अनुबंध कर रहे हैं वह संपत्ति का स्वामी है और बाद में अनुबंध का पालन अवश्य करेगा। इस के साथ ही जो विक्रय अनुबंध आप उस के साथ करना चाह रहे हैं उस में यह अवश्य लिखवाएँ कि विक्रेता अनुबंध की तिथि से निश्चित समय (दो या तीन या चार माह) में अपने नाम इन्तकाल खुलवा कर मकान के विक्रय पत्र निष्पादित कर देगा और उस का पंजीयन करवा देगा। यदि उस ने इस निश्चित अवधि में विक्रय पत्र का पंजीयन नहीं करवाया तो यह अनुबंध का अपखंडन माना जाएगा और वैसी स्थिति में विक्रेता आप को आप के द्वारा उसे अदा की गई अग्रिम राशि का दो गुना राशि अदा करेगा।
यदि विक्रेता समय पर विक्रय पत्र का पंजीयन नहीं करवाता है तो आप उसे नोटिस दे कर अग्रिम भुगतान की गई धनराशि से दुगनी राशि की मांग कर सकते हैं। विक्रेता द्वारा यह राशि नहीं लौटाने पर आप उस के विरुद्ध संविदा का पालन न करने के लिए आप के द्वारा अदा की गई राशि की दुगनी राशि की वसूली के लिए वाद प्रस्तुत कर सकते हैं और कानूनन उस की वसूली कर सकते हैं। इस वाद के प्रस्तुत किए जाने के साथ ही आप उस संपत्ति को अटैच करवा सकते हैं जिस से आप की राशि की वसूली सुनिश्चित हो जाए।
नमस्कार सर मेरे पिताजी द्वारा १९९७ में 40×१०८ का प्लाट ख़रीदा गया था और उसकी रजिस्ट्री भी करवा ली गई किन्तु प्लाट सीधा न होने की वजह से सन २००० में मकान बनाते वक़्त ७४३ वर्ग फीट जमीन और खरीदना पड़ी जिसका सिर्फ ५० रूपए के स्टाम्प पर विक्रय अनुबंध हुआ था जिसकी नोटरी भी नहीं की गई थी ।
किन्तु आज सन २०१५ में प्लाट मालिक के मन में बेईमानी आ गई है और वह कहता है की यह ७४३ वर्ग फीट जगह मेरी है क्या मेरे द्वारा न्यायालय में केस दायर किया जा सकता है ?
क्या उक्त जमीन की रजिस्ट्री विक्रय पत्र के आधार पर मेरे नाम से हो सकती है ?
यहाँ में आपको इस बात से अवगत करना चाहुगा की सन २०१२ में मेरे पिताजी की म्रत्यु हो चुकी है
और उक्त पूरी जमीन पर मेरे पिताजी द्वारा सन२००० में ही मकान बनाकर कब्ज़ा ले लिया गया था और पिछले १५ वर्षो से हम यहाँ निवास कर रहे है ।
सर अगर मामला कोर्ट में जाता है तो कितना वक्त लगता है कोर्ट में.
कितना वक्त लगता है.