विवाह विच्छेद की डिक्री सक्षम न्यायालय से प्राप्त किए बिना दूसरा विवाह वैध नहीं होगा
|समस्या-
मेरी शादी फरवरी 2008 में हुई थी। लेकिन मेरे प्रति पति के यौन उदासीन रहने और विवाह के भुक्त होने के कारण पति के साथ नोटेरी के समक्ष प्रमाणित अनुबंध कर के मेरा तलाक हो गया है। अब मैं दूसरा विवाह करना चाहती हूँ। यदि मैं विवाह करती हूँ तो क्या यह विवाह वैध होगा?
-रीता सिंह, मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश
समाधान-
यदि कोई व्यक्ति जिस पर हिन्दू विवाह अधिनियम प्रभावी है और वह आदिवासी नहीं है तो उस का विवाह बिना सक्षम न्यायालय की डिक्री के विच्छेद नहीं हो सकता। एक हिन्दू विवाह को विच्छेद करने के लिए न्यायालय की डिक्री प्राप्त करना आवश्यक है।
यदि आप बिना सक्षम न्यायालय से विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त किए केवल नोटेरी द्वारा प्रमाणित किए गए अनुबंध को विवाह विच्छेद मान कर दुबारा विवाह करती हैं तो यह दूसरा विवाह कानूनन अवैध होगा। यह विवाह भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के अन्तर्गत अपराध भी होगा जिस के लिए आप को सात वर्ष तक के कारावास के दंड से दंडित किया जा सकता है।
पिछले ७ year से मेरी पत्नी मेरे साथ नहीं है और न ही हमारे बिच कोई रेअलतिओं है इसके चलते मेने नरसिंहगढ़ तहसील में केस लगाया जनुअरी २०१५ में और उसका हॉल में कोर्ट का आदेश आया है की मेरी दायर याचिका कैंसिल कर दी है अब मेने वापस अपन केस हाई कोर्ट में लगाया है तो कितने टाइम में क्लियर हो सकता है पहले मेरे साथ मेरी पत्नी आने को तयार नहीं थी पैर अब जब से केस लगाया है वो कोर्ट में बोलती है की में तयार हु पैर अब उसे लें नहीं चाहता हु मुझे सुग्गेस्ट kare
आप उसी नोटेरी के समक्ष प्रमाणित अनुबंध को न्यायलय में पेश करके सहमती से विवाह विच्छेद करवा सकती है सहमती से विवाह विच्छेद करने में ज्यादा समय नहीं लगता है