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संयुक्त संपत्ति का बँटवारा

rp_judge-caricather11.jpgसमस्या-

एडवोकेट बृजेश ने सतना, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरे बाबा ने वर्ष 1949 में 18 एकड़ कृषि भूमि खरीदी थी। मेरे बाबा तीन भाई थे, सभी ने लड़ाई कर मेरे बाबा से 1/3 हिस्सा ले लिया है। मेरे बाबा के एक भाई की शादी नहीं हुई थी उन को भी 1/3 हिस्सा मिला था। जो अब लाबल्द फौत हो चुके हैं। मेरे बाबा के दूसरे भाई के पुत्रों ने फर्जी वसीयत के आधार पर लाबल्द फौत बाबा के जमीन को हड़पने का मुकदमा कर दिया है। मेरे बाबा के चार पुत्र हैं जिन में से तीन पुत्रों को बाबा ने 1980 में बटवारा कर दिया था। चौथे पुत्र को नहीं दिया था, अब बाबा भी फौत हैं। क्या लाबल्द फौत बाबा की जमीन सभी में बराबर – बराबर बाटीं जा सकती है? क्या मेरे बाबा के चौथे फौत पुत्र की लड़की अब हिस्सा का दावा चला सकती है?

समाधान-

प के बाबा ने जो जमीन खरीदी थी वह पुश्तैनी नहीं थी। ऐसा प्रतीत होता है कि वह तीनों भाइयों की संयुक्त संपत्ति थी। इसी कारण तीनों भाइयों के बीच बंटवारा हो कर तीनों एक तिहाई हिस्सा प्राप्त कर लिया। एक बाबा निस्संतान मर गए। यदि उन की संपत्ति पर दूसरे भाई के बच्चों ने फर्जी वसीयत बना कर कब्जा कर लिया है तो आप के पिताजी को चाहिए था कि वे मृत भाई की संपत्ति के बंटवारे का वाद संस्थित करते और वसीयत सामने आती तो उसे भी चुनौती दे कर फर्जी साबित कर देते। यह सारे मामले की जानकारी के बाद ही कहा जा सकता है कि क्या इस बंटवारे का मुकदमा अब किया जा सकता है या नहीं।

प के बाबा के चार पुत्रों में से तीन पुत्रों के बीच बंटवारा होना समझ नहीं आता। यदि बंटवारा होता तो संपत्ति के पाँच हिस्से होते चार बेटों के और एक खुद बाबा का। इस लिए वह बंटवारा प्रतीत नहीं होता है बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि बाबा ने पुत्रों के असंतोष को दूर करने के लिए संपत्ति के कुछ हिस्सों पर रहने और उपयोग करने की अनुमति बाबा ने दे दी थी। लेकिन संपत्ति फिर भी संयुक्त बनी रही।

चौथे पुत्र की पुत्री भी इस संपत्ति की उत्तराधिकारी है। इस कारण वह अपने हिस्से का दावा कर सकती है। यह कहते हुए कर सकती है कि निस्संतान मृत्यु को प्राप्त हुए बाबा ने कोई वसीयत नहीं की थी और उस में भी उस का हिस्सा है।

इस मामले में आप को सारे दस्तावेज आदि किसी अच्छे वकील को दिखा कर उन से सलाह करते हुए बंटवारे का वाद संस्थित करवाना चाहिए।

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