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सहदायिक संपत्ति में पुत्री का विभाजन और पृथक हिस्से का अधिकार

समस्या-

मेरी पत्नी बबीता देवी (68 वर्ष) एक पैर से विकलांग है। मेरे बाबा अंबिका सिंह जिनको 1940 में 7 एकड़ 42 डिसमिल जमीन उनके हिस्से में प्राप्त हुआ था। मेरे पिता दो भाई थे मेरे पिता का नाम वेशर सिंह और मेरे चाचा का नाम वादों सिंह। मेरी चाचा वादों सिंह ने विवाह नहीं किया था। मेरे चाचा वादों सिंह ने 3 एकड़ 42 डिसमिल जमीन 1948 में खरीदा था मेरे चाचा वादों सिंह की मृत्यु 2004 में हुई। उनके मरणोपरांत वह जमीन अभी मेरे पास है। क्या मेरे चाचा के द्वारा जो जमीन मुझे मिला उस पर मेरे पुत्र या पुत्री का अधिकार है। जिस वक्त मेरे चाचा ने जमीन खरीदा था उस वक्त वो संयुक्त परिवार के ही सदस्य थे किंतु उनके द्वारा खरीदे गए जमीन के केवाला पर सिर्फ उन्हीं का नाम है, मेरे पिताजी का नाम नहीं है। मुझे 3 पुत्र पैदा हुऐ परंतु तीनो जन्म के समय मृत पाए गए, तीनों की मृत्यु पेट में ही हो गई थी। फिर मुझे दो पुत्रियां हुई। क्या उन मृत पुत्रों का भी कोई हिस्सा हमारे संपत्ति में होता है? यदि हां तो फिर क्या वह हिस्सा मेरी पत्नी को स्थानांतरित होगा? मेरी पुत्री ने मुझ पर टाइटल पार्टीशन सूट किया है। उसका हिस्सा इस संपत्ति में कितना हो सकता है । जबकि 7 एकड़ 42 डिसमिल जो कि मेरे बाबा का हिस्सा था, उस में मेरे चाचा का जो हिस्सा होता है वह तो मेरा पर्सनल प्रॉपर्टी कहलायेगा।

उमेश सिंह vishnukr1506@gmail.com

समाधान-

आप के दादा अम्बिका सिंह को 2014 में जो जमीन उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है वह आप की पुश्तैनी/ सहदायिक संपत्ति है। इस संपत्ति का उत्तराधिकार उत्तरजीविता से तय होगा। 2005 से पुत्रियाँ भी सहदायिक संपत्ति में पुत्र के समान अधिकार रखने लगी हैं। इस कारण आप की पुत्री आप की सहदायिक संपत्ति में अपना हिस्सा अलग कराने की अधिकारी है। आप के पुत्र मृत पैदा हुए इस कारण उन का कोई अलग से हिस्सा नहीं है। वह हिस्सा आपकी पत्नी को प्राप्त नहीं होगा।  दादा की जमीन में आप के चाचा का हिस्सा भी आप को मिल गया है। लेकिन वह फिर भी आप की स्वअर्जित संपत्ति नहीं है क्यों कि वह आपको उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ है।  आप की पुत्री इस भूमि में अपना हिस्सा प्राप्त करने की अधिकारी है। उस का हिस्सा कुल जमीन में 1/3 ही होगा। आप के चाचा ने जो हिस्सा खुद खरीदा है और जिस का केवाला उन के नाम है वह जमीन आप की स्वअर्जित मानी जाएगी और आप के जीतेजी उस में किसी को हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। इस जमीन में आप की पुत्री कोई भी हिस्सा प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है।