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स्थावर संपत्ति जिस के नाम पंजीकृत है, कानून में वही उस का स्वामी माना जाएगा

 श्रीमती एम. तिवारी ने पूछा है –
मेरे एवं मेरे स्‍व पति द्वारा झाबुआ में एक मकान क्रय किया गया था।  चूँकि पहले घर के बड़े सदस्‍यों के नाम से संपत्ति क्रय की जाति थी, इसलिए मकान मेरे पति द्वारा अपने बडे भाई साहब के नाम से क्रय किया गया, लेकिन रजिस्‍ट्री पर मेरे पति के ही हस्‍ताक्षर हैं।  रजिस्‍ट्री हेतु रूपयों की व्‍यवस्‍था भी मेरे द्वारा अपने जीपीएफ फंड से की गई थी। मेरी समस्‍या यह है कि मैं मकान को विक्रय करना चाहती हूँ, लेकिन मकान मेरे जेठ के नाम से है। मैं विगत 20 वर्षों से नगर पालिका में टेक्‍स भी जमा कर रही हूँ, जिसकी रसीदे मेरे पास सुरक्षित हैं नगर पालिका में भी मकान मेरे जेठ के नाम से अंकित है। ऐसी स्थिति में मैं मकान को बेचने के लिए क्‍या कर सकती हूं? यदि मेरे जेठ द्वारा कोई आपत्ति ली जाती है तो मै क्‍या कानूनी कार्यवाही कर सकती हूं? 
 उत्तर –
श्रीमती तिवारी जी,
पने कहा है कि “पहले घर के बड़े सदस्यों के नाम से संपत्ति खरीदी जाती थी”। लेकिन यह तभी होता था जब कि संयुक्त परिवार होता था, सारी संपत्ति संयुक्त परिवार की हुआ करती थी और संपत्ति की खरीद संयुक्त परिवार के मुखिया के नाम पंजीकृत करा ली जाती थी। अनेक बार ऐसा भी होता था कि संपत्ति पत्नी, पुत्री, भाई आदि के नाम से खरीद ली जाती थी। अर्थात संपत्ति का वास्तविक स्वामी तो कोई होता था और संपत्ति किसी और के नाम होती थी। ऐसी अवस्था में संपत्ति का वास्तविक स्वामी पंजीकृत स्वामी के विरुद्ध दावा कर के सम्पत्ति को अपनी प्रमाणित कर सकता था। यह भी हो सकता था कि संपत्ति पर असली स्वामी काबिज हो और जिस के नाम संपत्ति ली गई थी वह उसे बेदखल करने के लिए वाद प्रस्तुत करे तो संपत्ति का वास्तविक स्वामी यह प्रतिरक्षा कर सकता था कि संपत्ति का स्वामी वह स्वयं है और दावाकर्ता केवल मात्र बेनामी है। लेकिन 05.09.1988 से यह स्थिति समाप्त हो गई।
बेनामी हस्तांतरण (निषेध) अधिनियम,1988 के प्रभावी होने से किसी भी बेनामी संपत्ति के वास्तविक स्वामी के ये दोनों  अधिकार कि वे उस संपत्ति पर अपना स्वामित्व प्रमाणित करने के लिए न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं, या अपनी ही संपत्ति से बेदखल करने के लिए लाए गए वाद में वे स्वयं को वास्तविक स्वामी साबित कर सकते हैं, समाप्त कर दिए गए हैं। इस संबंध में पूर्व में दो आलेख पिताजी ने अपनी अर्जित आय से संपत्ति माँ के नाम खरीदी थी। संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा?  और बेनामी संपत्ति क्या है? संपत्ति के बेनामी हस्तांतरण पर रोक किस तरह की है? तीसरा खंबा पर प्रकाशित किए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय आर. राजगोपाल रेड्डी बनाम पद्मिनी चंद्रशेखरन के मामले में दिया है। आप इन्हें पढ़ कर अपना ज्ञानवर्द्धन कर सकती हैं। 
प का मकान आप के जेठ के नाम पंजीकृत है, कानून में उन्हीं का माना जाएगा। यदि आप उसे बेचती हैं तो क्रेता के नाम हस्तांतरण विलेख भी आप के जेठ द्वारा हस्ताक्षरित होने पर ही स्वा

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