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हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम प्रभावी होने के उपरान्त पुरुष मृतक से प्राप्त संपत्ति पुश्तैनी नहीं है उसे वसीयत किया जा सकता है

समस्या-

बरेली उत्तरप्रदेश से पी.के. सक्सैना पूछते हैं-

क्या हिन्दू कानून में उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति होती है? उस में पत्नी और संतानों आदि के अधिकार भी सम्मिलित होते हैं?   क्या कोई उत्तराधिकार से प्राप्त सम्पति को वसीयत कर सकता है?  यदि किसी ने वसीयत कर दी हो तो क्या करे?

समाधान-

उत्तराधिकार अधिनियम 1956 दिनांक 17.06.1956 से प्रभावी हुआ है। इस कानून के प्रभावी होने के पूर्व तक स्थिति यह थी कि हिन्दू उत्तराधिकारी को उस के पुरुष पूर्वज से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति पुश्तैनी संपत्ति होती थी तथा उस में उत्तराधिकारी के पुत्र पौत्र आदि का अधिकार भी होता था। लेकिन उक्त कानून के प्रभावी होने के साथ ही इस व्यवस्था का अंत हो गया। किसी भी मृतक की संपत्ति यदि उस ने उस के संबंध में कोई वसीयत नहीं की हो तो वह संपत्ति उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार उत्तराधिकारियों को प्राप्त होती है। उदाहरणार्थ किसी पुरुष मृतक की संपत्ति उस की माता, पत्नी, पुत्रों व पुत्रियों को समान भाग में उत्तराधिकार में प्राप्त होती है। उत्तराधिकारी को प्राप्त संपत्ति उस की अपनी संपत्ति होती है जिसे वह वसीयत कर सकता है।

सी संपत्ति या किसी भी संपत्ति को वसीयत करने के उपरान्त यदि व्यक्ति चाहे तो अपने जीवनकाल में अपनी वसीयत बदल सकता है।  एक ही संपत्ति के संबंध में किसी भी व्यक्ति की एक से अधिक वसीयतें होने पर उस की अंतिम वसीयत प्रभावी होती है। वसीयतकर्ता की मृत्यु के साथ ही उस की संपत्ति पर वसीयती का अधिकार होता है, उत्तराधिकारी का नहीं।

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