2005 के पू्र्व हिन्दू सहदायिक संपत्ति में किसी स्त्री को कोई अधिकार नहीं था।
समस्या-
धर्मशाला, जिला काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश से यशपाल सिंह संधू ने पूछा है –
मेरे नानाजी को अपनी पुश्तैनी ज़मीन उन्हें अपने पूर्वजों से हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के लागू होने से पहले से बिना किसी वसीयत के वैसे ही उत्तराधिकार में मिली थी, जो कि वास्तव में ही उनकी “पुश्तैनी ज़मीन” थी। उन्होंने इस जमीन को अपने मामा के लड़के को हिबा द्वारा गिफ्ट डीड वर्ष 1960 में कर दी थी क्योंकि मेरी माताजी के अलावा उनकी और कोई संतान नहीं थी और वर्ष 1960 में मेरी माताजी की शादी के बाद शायद उन्होंने सोचा होगा कि उनके मामा का लड़का उनका ‘बेटा’ बन कर सेवा करेगा। परन्तु जहाँ आजकल अपने सगे बेटे ही माँ बाप की सेवा नहीं करते तो उसने कहाँ करनी थी? एक वर्ष के भीतर ही उसने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया वह उनकी सारी संपत्ति पर हक़ जमाना चाहता था और उन को आये दिन परेशान करने लगा। इसलिए नानाजी ने अपने द्वारा किये गए हिबा को रद्द किये जाने के लिए कोर्ट में केस किया। लेकिन उस ज़माने में उनके मामा का वो लड़का एक नामी वकील के यहाँ नौकरी करता था, तो उनकी पहुँच के आगे अनपढ़ नानाजी की एक नहीं चली और वे तत्कालीन राजस्व और सिविल कोर्ट्स में केस हारते रहे तथा एक दिन दुनिया से ही हार कर वर्ष 1993 में विदा हो गए। मुझे इस केस की कोई जानकारी नहीं थी कि क्या क्या हुआ था? क्यों कि मैं तो उस वक्त पैदा ही नहीं हुआ था। इसलिए इतने वर्ष बीत जाने पर भी मैं कोई कारवाई न कर सका। अब सर मैं आपसे ये जानना चाहता हूँ कि क्या मेरे माताजी जो अभी जीवित हैं, और अपने पिता की संपत्ति की इकलौती वारिस हैं? क्या वे वर्ष 1960 में उनके पिता द्वारा किये गए उक्त हिबा को कोर्ट में चैलेंज कर सकती हैं? यदि कोर्ट में केस स्वीकृत हो जाये तो क्या उक्त हिबा निरस्त हो सकता है?
समाधान-
आप के नानाजी के पास जो संपत्ति थी वह पुश्तैनी थी। लेकिन उस संपत्ति के वे अकेले सहदायिक थे। उन के न तो कोई भाई था और न ही पुत्र। इस कारण उस संपत्ति में किसी अन्य व्यक्ति को सहादायिकी अधिकार प्राप्त नहीं हुआ था। परंपरागत हिन्दू विधि के अंतर्गत सहदायिकी अधिकार जन्म से सिर्फ पुत्र, पौत्र या प्रपोत्र को ही प्राप्त हो सकते थे, न कि पुत्रियों को। वैसी स्थिति में उक्त संपत्ति में आप की माता जी को कोई सहदायिकी अधिकार प्राप्त नहीं हुआ था। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत स्त्री उत्तराधिकारी के होने पर संपत्ति का दाय उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार होता है। लेकिन आप की माता जी को तो वह संपत्ति आप के नाना के देहान्त के उपरान्त ही प्राप्त हो सकती थी। जब कि नाना जी ने उस संपत्ति को जीवनकाल में ही दान कर दिया। जिस का उन्हें पूर्ण अधिकार था।
किसी भी दान को केवल कुछ ही मामलों में वापस लिया जा सकता है या निरस्त कराया जा सकता है, अन्यथा दान को निरस्त नहीं कराया जा सकता। आप के नाना उक्त दान को निरस्त कराने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ चुके हैं। इस लड़ाई को संभवतः वे इसी लिए नहीं जीत सके क्यों कि कानून के अनुसार दान करने वाले की इच्छा के आधार पर कोई दान निरस्त नहीं किया जा सकता। आप की माता जी को उक्त संपत्ति में कभी कोई अधिकार उत्पन्न नहीं हुआ था। इस कारण वे उसे चुनौती नहीं दे सकती थीं। यदि दान किन्हीं तकनीकी कारणों से अकरणीय होता तो ही आप की माता जी को आप के नाना जी के देहान्त के उपरान्त उक्त दान को निरस्त कराने का अधिकार उत्पन्न होता। लेकिन वह लड़ाई तो आप के नाना जी पहले ही हार चुके थे।
मुझे नहीं लगता कि आप के इस मामले में कोई मार्ग आप के या आप की माता जी के पक्ष में निकल सकता है। आप के नानाजी के द्वारा निष्पादित दानपत्र, तत्कालीन परिस्थितियों और नाना जी द्वारा लड़े गए मुकदमे के आज तक के सभी निर्णयों का अध्ययन करने के बाद ही कोई विधिज्ञ यह निश्चित कर सकता है कि उक्त मामले में दान पत्र को अब इतने समय बाद निरस्त कराया जा सकता है या नहीं।
meri bhi ek samsya h .
ki ham teen bhai h. bada rameshwar m jagdish chota brajmohan hamare do bahne h badi keshar aur rameshwar se choti keli ham jaipur (rajasthan ) ke rahane wale h.
hamare bhai rameshwar ne ham se san 2008 men ham se dhoke se powar of aurtarni ke saath haq tyag bhi karwa liya phir bo done bahne se haq tyag apne paksh me karwane ki koshi ki par bahno ne 2012 me tino bhaiyon ke nam kar diya. phir hamare bhai ne humse bah haq tyag bhi karwa liya m us haq tyag ko kaise nirast karwa sakta hoon.
kya aap mere mo. no. par sampark kar sakte h.
क्या आप मेरे मोबाईल नो. पर सम्पर्क कर सकते ह.
मेरा मो. नो. ०९९८३६३०३८० ह. 09983630380
meri bhi ek samsya h ki ham teen bhai h. bada rameshwar m jagdish chota brajmohan hamare do bahne h badi keshar aur rameshwar se choti keli
hamare bhai rameshwar ne ham se san 2008 men ham se dhoke se powar of aurtarni ke saath haq tyag bhi karwa liya phir bo done bahne se haq tyag apne paksh me karwane ki koshi ki par bahno ne 2012 me tino bhaiyon ke nam kar diya. phir hamare bhai ne humse bah haq tyag bhi karwa liya m us haq tyag ko kaise nirast karwa sakta hoon.