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पुश्तैनी संपत्ति का विभाजन हर दूसरी तीसरी पीढ़ी में हो जाना चाहिए . . .

चरागाहसमस्या-
मुम्बई, महाराष्ट्र से भूपेन्द्र मेधेकर ने पूछा है-

मारी जमीन पर चाचा के लड़कों ने कब्जा किया है। हमारी जमीन वंश पारंपरिक है। जमीन अभी भी मेरे पिताजी के दादाजी के नाम पर है। इस में 150 से ज्यादा वारिस चढ़ चुके हैं जिस में लडकियों के बच्चे उनके बच्चे भी शामिल हैं। कृपया मुझे सलाह दें, मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान-

वंश परंपरा से जो संपत्ति चली आई है। यदि उस का कई पीढ़ियों तक विभाजन नहीं होगा तो निश्चित रूप से उस में अनेक हिस्सेदार हो ही जाएंगे। अब किसी भी संपत्ति पर इतने सारे लोगों का तो कब्जा हो नहीं सकता तो कोई तो उस संपत्ति पर कब्जा रखेगा। अब आप के चाचा के लड़के कुछ होशियार हैं तो उन्हों ने कब्जा कर लिया। उस में गलत कुछ भी नहीं है। वैसे जटिलताओँ से बचने के लिए हर दूसरी-तीसरी पीढ़ी के बाद पुश्तैनी संपत्ति का विभाजन हो जाना चाहिए।

लेकिन वंश पारम्परिक (पुश्तैनी) संपत्ति पर यदि उस के एक भी हिस्सेदार का कब्जा हो तो यही माना जाता है कि संपत्ति पर उस के सभी हिस्सेदारों का कब्जा है। इस तरह आप के चाचा के लड़कों के माध्यम से आप का भी उस संपत्ति पर आभासी कब्जा तो है ही।

प को उस सपंत्ति का लाभ लेना है तो आप को उक्त सम्पत्ति के विभाजन का वाद सक्षम न्यायालय में दाखिल करना होगा। इस वाद में उक्त संपत्ति के सभी हिस्सेदार पक्षकार होंगे। साक्ष्य के हिसाब से जिस का जितना हिस्सा बनेगा उसे उतना हिस्सा दे दिया जाएगा। यदि संपत्ति ऐसी हुई कि जिस पर सभी को अलग अलग कब्जा नहीं दिया जा सकता हो तो उक्त संपत्ति का विक्रय कर के मिली हुई धनराशि को सभी हिस्सेदारों को समान रूप से वितरित किया जा सकता है। विक्रय के समय जो भी हिस्सेदार उस संपत्ति को रखना चाहेगा वह उस की कीमत अदा कर के उसे अपने पास रख सकेगा। कीमत से अपना हिस्सा भी प्राप्त कर सकेगा। आप के लिए हमारी सलाह यही है कि जितनी जल्दी हो उक्त संपत्ति के विभाजन का वाद प्रस्तुत कर उस का विभाजन करवा लें। यदि भूमि कृषि भूमि है तो विभाजन का यह वाद राजस्व न्यायालय में संस्थित होगा और यदि संपत्ति कृषि भूमि न हो कर आबादी भूमि है तो फिर विभाजन का वाद दीवानी न्यायालय में संस्थित करना होगा।