कन्सल्टेंट का लायसेंस विक्रय करना कोई अपराध नहीं
समस्या-
अमरजीत ने पानीपत हरियाणा से पूछा है-
मैं एक एक्सपोर्टर हूँ और मेरे DGFT कंसलटेंट के पास मेरे डिजिटल सिग्नेचर है। उन्होंने मेरे एक्सपोर्ट का इंसेंटिव DGFT डिपार्टमेंट से क्लेम करवाया जो लाइसेंस की फॉर्म में होता है और इम्पोर्ट की कस्टम ड्यूटी में एडजस्ट होना होता है। उन्होंने मेरे डिजिटल सिग्नेचर के द्वारा मेरे लाइसेंस को किसी इम्पोर्टर को सेल कर दिया और पेमेंट अपने पास रख ली। ये लाइसेंस Transferable होता है। जब मुझे पता लगा कि ऐसा हुआ है तो मैंने उनसे पूछा कि आपने मेरी अनुमति के बिना मेरे लाइसेंस को कैसे सेल किया? तो उन्होंने कहा की हमारे पास आपका मोबाइल नम्बर नहीं था और आपका अकाउंटेंट फ़ोन नहीं उठा रहा था। कोरोना के कारण वो मिलने नहीं आ सके। ( मेरी उनसे कभी बात नहीं हुई थी सब काम मेरे अकॉउंटट के द्वारा ही हो रहा था और अब मेरा अकाउंटेंट मेरे पास काम नहीं करता, उसने अपना एक्सपोर्ट का अलग व्यवसाय शुरू कर लिया है)। वो कह रहे हैं कि आपके लाइसेंस की पेमेंट हमारे पास है, आप जब कहे आपके पास ट्रांसफर हो जाएगी। हम आपको संवादहीनता (Communication Gap) के कारन नहीं दे पाए। मेरे डिजिटल सिग्नेचर उनके पास है और मैंने ही उनसे बनवाये हैं, मेरे अकाउंटेंट के माध्यम से। अतः मैं उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही कर सकता हूँ कि उन्होंने मेरी अनुमति के बिना मेरे लाइसेंस क्यों विक्रय किये?
समाधान-
सबसे पहले तो आप उनसे डिजिटल सिग्नेचर वापस ले लें। जिससे वे आपके डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग नहीं कर सकें।
जहाँ तक लायसेंस को विक्रय करने का प्रश्न है। आपके कंसल्टेंट आपके एजेंट के रूप में कार्य कर रहे थे। आपके अकाउन्टेंट के माध्यम से ही आपका उनसे संपर्क था। आपके अकाउन्टेंट ने उन्हें कितनी छूट दे रखी थी यह आपको पता नहीं है। हमें लगता है कि आपके अकाउंटेंट और उनके बीच इस तरह की समझदारी रही होगी कि वे आपके लिए बाजार में लाभ की स्थिति देख कर सौदा कर सकें। इसी कारण कंसल्टेंट ने ऐसा किया। आम तौर पर प्रोफेशनल बिना अपने मुवक्किल की अनुमति के ऐसा नहीं करते।
आप सोचते होंगे कि आपके कंसल्टेंट ने इस तरह धारा 405 आईपीसी में वर्णित तथा 406 में दण्डनीय ब्रीच ऑफ ट्रस्ट का अपराध कर दिया है। लेकिन धारा 405 के दृष्टान्त (डी) में ही कहा गया है कि यदि आपका एजेंट आपके भले की सोच कर कोई काम कर लेता है तो बाद में नुकसान होने पर भी यह ब्रीच ऑफ ट्रस्ट नहीं कहा जाएगा। इस तरह कंसल्टेंट ने कोई अपराध नहीं किया है। हाँ यदि आपको इस सौदे से नुकसान हुआ है और आप साबित कर सकते हों कि आपका कितना नुकसान हुआ है तो आप दीवानी वाद संस्थित कर विक्रय की राशि के साथ साथ उससे हर्जाना भी प्राप्त कर सकते हैं।
हमारी राय है कि आपको उससे डिजिटल सिग्नेचर वापस ले लें और विक्रय की धनराशि अपने खाते में हस्तान्तरित करवा लें। आगे विवाद बढ़ाने में कोई लाभ नहीां है।