नौकरी से मिलने वाले लाभ नोमिनी को मृतक की वसीयत के आधार पर वितरित करने होंगे
समस्या-
बीजूरी, जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश से रविशंकर पूछते हैं-
मेरे पिताजी की 8 साल की लंबी बीमारी के कारण 03-10-2012 को देहांत हो गया। मेरे पिता जी कोल इंडिया में काम करते थे। हम टीन भाई हैं और हमारी कोई बहन नहीं है। मेरे पिताजी ने अपने जीवन काल में ही हमारे बड़े भाई को एक शपथ पत्र देकर अपने अर्जित संपत्ति से अलग कर दिया था और उसका प्रकाशन एक अख़बार के माध्यम से कर दिया था और उसी के आधार पर उसका नाम सर्विस शीट कटवा दिया था। ये 04-2011 की है। उसके बाद पिताजी ने अपना एक वसीयत बनवाया और उस में उन्हों ने लिखवा दिया कि अगर उनकी मृत्यु उनकी सेवा अवधि के दौरान हो जाती है तो उनके स्थान पर मिलने वाली अनुकम्पा नियुक्ति पर सिर्फ़ उनके छोटे पुत्र का हक होगा और समस्त खाते में जमा राशि और कोल इंडिया से मिलने वाले ग्रेच्युटी और प्रोविडेंट फंड पर मेरे दूसरे नंबर के पुत्र का हक होगा और माँ को सिर्फ़ पेंशन पाने का अधिकार होगा। उन्हों ने यह भी लिखा था कि माँ और हम दोनो भाइयों के अलावा मेरा बड़ा बेटा या कोई अन्य अपना अधिकार या आपत्ति करता है तो इस वसीयत के आधार पर खारिज कर दिया जाए। वसीयत को उन्हों ने रजिस्टर्ड करवा दिया था। लेकिन मेरा बड़ा भाई इसे नहीं मान रहा है। मुकदमा कर के हिस्सा बटवाँने की धमकी दे रहा है। तुम लोगों ने पिताजी से गलत वसीयत बनवाया है क्यों कि वसीयत पर पिताजी और गवाहों के अलावा तुम लोगो का भी फोटो और हस्ताक्षर है कि इनके पक्ष में मैं अपनी वसीयत लिख रहा हूँ। क्या वसीयत के बाद भी मेरे बड़े भाई का हक बनता है? उसे पैतृक संपत्ति से अलग नहीं किया गया है। सिर्फ़ पिताजी ने अपने स्वअर्जित संपत्ति से अलग किया है। क्या वसीयत जिनके पक्ष में किया गया है उनका भी फोटो लगा और हस्ताक्षर है तो इस आधार पर खारिज हो सकता है? माँ वसीयत के हिसाब से ही बँटवारा करना चाहती है। सिर मेरा भाई इस पर क्या कार्यवाही अदालत में कर सकता है और अदालत का फ़ैसला किसके हक़ में जा सकता है? वह माँ को धमकी देता है कि उनका बैंक ख़ाता सीज़ करवा देगा क्यों कि माँ नोमिनी है तो माँ के खाते में ही जायेगा। वसीयत में पिताजी ने भाई को संपति से अलग करने का कारण नहीं लिखवाया है। अगर माँ वसीयत के हिसाब से पैसा मुझे दे देती है तो क्या इसके लिए उसे न्यायालय से से इज़ाज़त लेनी पड़ेगी या न्यायालय को जानकारी देनी पड़ेगी?
समाधान-
आप के पिताजी ने पहले जो शपथ पत्र दे कर तथा अखबार में प्रकाशित करवा कर आप के बड़े भाई को अपनी स्वअर्जित संपत्ति से बेदखल किया था। वह भी एक प्रकार की वसीयत ही है। न्यायालय में विवाद होने पर उसे बाद में रजिस्टर्ड कराई गई वसीयत के साथ जोड़ कर पढ़ा जाएगा। इस तरह आप के पिता जी की स्वअर्जित संपत्ति का बँटवारा वसीयत के अनुरूप ही होगा और उन की स्वअर्जित सम्पत्ति में आप के बड़े भाई को कोई हिस्सा प्राप्त नहीं होगा। नौकरी से मिलने वाले सभी लाभ स्वअर्जित संपत्ति हैं और उन्हें वसीयत के अनुसार ही बाँटा जाएगा। इस वसीयत के बाद आप के बड़े भाई का कोई अधिकार आप के पिताजी की स्वअर्जित संपत्ति पर नहीं बनता है।
ये सभी राशियाँ एक नोमिनी होने के कारण आप की माताजी को प्राप्त होंगी और उन्हें उन का वितरण/बँटवारा वसीयत के अनुसार ही करना चाहिए। यदि आप के हिस्से की राशि माता जी आप को देती है तो इस के लिए न तो न्यायालय को सूचना देने की आवश्यकता है और न ही न्यायालय से अनुमति लेने की आवश्यकता है। आप का बड़ा भाई यदि कोई मुकदमा करता है तो भी उस मुकदमे में वह असफल ही होगा।
आप का बड़ा भाई एक कार्यवाही तो यह कर सकता है कि वह आप की माँ के विरुद्ध दावा कर के सभी उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति का बँटवारा करने का अधिकार बताते हुए वसीयत के अनुसार बँटवारा न करने के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त करने की कार्यवाही कर सकता है। इस में कोल इंडिया वालों तथा पीएफ योजना को भी पक्षकार बना कर उन्हें आप की माता जी को भुगतान रोके जाने का आवेदन भी कर सकता है। लेकिन इस में आप के बड़े भाई के सफल होने की कोई गुंजाइश प्रतीत नहीं होती है।
वसीयत पर उस का लाभ प्राप्त करने वालों के फोटो होने और उन के हस्ताक्षर भी उस पर होने से फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन विवाद न्यायालय में जाने पर आप को वसीयत के गवाहों के बयान कराने होंगे जिस में वे ये कहेंगे कि वसीयत लिखने में कोई दबाव नहीं था। वसीयत रजिस्टर्ड होने भी वसीयत स्वेच्छा से बिना किसी दबाव के लिखी होना ही माना जाएगा।
किन्तु हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम–१९५६ की धाराओं के अनुसार किसी पुत्र को उसके पिता के उत्तराधिकार से वंचित रखने के निम्नलिखित कारण ही हो सकते हैं।
1– हत्या अथवा हत्या का प्रयास ।( Murderer disqualified )
अथवा
2– धर्म परिवर्तन।( Convert ‘s descendants disqualified )
इसके अतिरिक्त अन्य कोई कारण चाहे कोई भी हो उत्तराधिकार से वंचित नही कर सकता।
Disease,Defect ,etc , not to disqualify : No person be disqualified form succeeding to any property on the ground of any disease,defect or deformity or save as provided in this Act on any Ground whatsoever. (Source: The Hindu Succession Act-1956) ………………………………………………………………………………………………………………………….
आपसे अनुरोध है कि कृपया इस सम्बन्ध में अपना अमूल्य राय ⁄ विधिक मत स्पष्ट करने का कष्ट करें ताकि मुझे तथा अन्य पाठकगणों को विधिक लाभ प्राप्त हो सके।