बिना विवाह जन्मी सन्तान के प्रति पिता के दायित्व जारज सन्तान के समान
समस्या-
बसन्ती ने जीरापुर, जिला राजगढ़ म.प्र. से पूछा है-
मैं एक शादीशुदा आदमी के साथ 2016 से लिव-इन में रह रही थी। उससे मेरी दो साल की बेटी है और उसके पहली बीवी से 9 साल की बेटी और 5 साल का बेटा है। हमारी बेटी हुई, उसने मुझे मारने की कोशिश की इसलिए मैं अपनी बेटी को ले कर मायके आ गयी। मैं चार महीने से यहाँ हूँ और अब वो उसकी बीवी बच्चों के साथ रह रहा है। हमारे साथ नहीं रहना चाहता। मैं क्या करूँ? मेरी बेटी के क्या अधिकार हैं। मैं उसे घर कैसे दिलाऊँ हम किराए से रहते हैं।
समाधान-
जब आप उस विवाहित पुरुष के साथ लिव-इन में रहने को गयीं तब आपको पता था कि उसकी पत्नी जीवित है और पहले से सन्तानें भी हैं। हो सकता है आपने उसके साथ लिव-इन एग्रीमेंट लिखाया हो। इस में यह जरूर लिखाया होगा कि वह आपको पत्नी की तरह रखेगा और आपकी देखभाल करेगा। फिर आप चार वर्ष उसके साथ रही हैं। बेटी हुई है तो उसका जन्म-प्रमाण पत्र भी अवश्य बना होगा। यदि बेटी किसी अस्पताल में जन्मी होगी तो अस्पताल का रिकार्ड भी होगा। इस तरह आपका उस पुरुष के साथ पत्नी का न सही लिव-इन का सम्बन्ध तो रहा है। पत्नी न होने के कारण आपको पत्नी जैसे अधिकार तो नहीं है लेकिन उस पुरुष के साथ रहने के कारण आपको घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत अधिकार प्राप्त हैं।
जहाँ तक आपकी बेटी का प्रश्न है तो बेटी का पिता वही पुरुष है। उसे उस पुरुष की सहदायक सम्पत्ति में अधिकार अवश्य नहीं है। लेकिन अब सहदायिक सम्पत्तियाँ बची नहीं हैं। गैर सहदायिक सम्पत्तियों में वैध पत्नी से जन्मी सन्तानों और बिना विवाह के किसी स्त्री से जन्मी सन्तानों के अधिकार समान होते हैं। लेकिन ये अधिकार उस पुरुष की मृत्यु के उपरान्त ही प्राप्त होते हैं यदि उस पुरुष ने अपनी सम्पत्तियों की कोई वसीयत नहीं की हो। इसके अलावा आपकी बेटी को तमाम वे अधिकार प्राप्त हैं जो एक बेटी को अपने पिता से होते हैं। अर्थात आपकी बेटी का पिता उसके बालिग होने तथा उसके बाद उसका विवाह हो जाने तक उसका पालन पोषण करने के लिए कानूनी तौर पर जिम्मेदार है।
आप खुद घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत अपने भरण-पोषण और आवास के लिए आवेदन कर सकती हैं, उसी तरह आपकी बेटी की ओर से भी भरण-पोषण और आवास के लिए आवेदन कर सकती हैं। इसके लिए आप किसी अच्छे वकील से मिलें और अदालत में आवेदन प्रस्तुत कराएँ। आपकी बेटी की ओर से धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता में भी आवेदन दिया जा सकता है।
497 खत्म होने के बाद अनुकूल प्रभाव समाज में दिखने लगे हैं !
Well done