अदालत में उपस्थित हो कर सच बयान करें, अदालत आप की मदद करेगी।
|समस्या-
फरीदाबाद, हरियाणा से बलराज ने पूछा है-
मेरा विवाह अप्रेल 2012 में हुआ था। पर कुछ समय बाद हम दोनों के परिवारों की वजह से हम दोनों अलग हो गए। हम पति-पत्नी में कोई मनमुटाव नहीं है। फिर भी वे लोग चाहते हैं कि हमारा तलाक हो जाए। (ये सब टिपिकल सास-बहू के मनमुटाव और उस के परिवार के कारण है।) हम ने सहमति से तलाक की अर्जी लगा दी है। लेकिन यह मैं ने इस मजबूरी में लगाई है कि उन्हों ने दहेज का मुकदमा कर दिया था। मैं चाहता हूँ कि इस रिश्ते को कुछ समय और मिलना चाहिए। क्या मैं न्यायालय में अन्तिम सुनवाई के समय तलाक के लिए मना कर दूँ, या न्यायालय में उपस्थित न होऊँ तो क्या हो सकता है? या क्या होगा?
समाधान-
मैं आप की हिम्मत की दाद देना चाहता हूँ। आप के विरुद्ध धारा 498-ए भा.दंड संहिता का मुकदमा है जिस में आप को सजा हो सकती है फिर भी आप तलाक से मना कर रहे हैं। लेकिन सही बात यही है कि आप को मना कर देना चाहिए। जब आप पति पत्नी के बीच किसी तरह का मन मुटाव नहीं है तो आप को इस चीज के विरुद्ध सचाई के साथ लड़ना चाहिए। लेकिन यह लड़ाई आप अकेले नहीं जीत सकेंगे। आप को अपनी पत्नी को भी इस लड़ाई में अपने साथ लाना होगा। इस के लिए आप अपनी पत्नी से अकेले में मिलने और उसे समझाने का करें। आप चाहें तो किसी प्रोफेशनल काउंसलर की सेवाएँ इस के लिए ले सकते हैं। हर जिले में कुछ काउंसलर नियुक्त होते हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से उन के बारे में जानकारी मिल जाएगी। आप उन में से किसी को यह समस्या बताएँ। आप चाहें तो इस मामले में स्थाई लोक अदालत में भी आवेदन कर सकते हैं जहाँ आप की पत्नी को बुला कर दोनों की समस्याएँ सुन कर कुछ समाधान निकाला जा सकता है।
मेरा मानना है कि आप को न्यायालय में जहाँ सहमति से विवाह विच्छेद के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया है उस न्यायालय में अनुपस्थित नहीं होना चाहिए, बल्कि उपस्थित हो कर जज को सारी सचाई से अवगत कराना चाहिए। न्यायालय का दायित्व है कि वह आप के दाम्पत्य को बचाने का हर संभव प्रयास करे। न्यायालय में उपस्थित हो कर आप यह कह सकते हैं कि मुझे लगता है कि हम ने यह आवेदन जल्दबाजी में दे दिया है। हमें सोचने का और अवसर दिया जाना चाहिए। न्यायालय आप की दूसरी अनुमति के बिना विवाह विच्छेद की डिक्री पारित नहीं करेगी।
dear sir
meri shadi 13 march 2008 ko ratangarh ( rajasthan ) me hui. ladki wale jaipur ke h or unhone ratangarh aake shadi ki. shadi k bad wo 13 july 2009 ko wapas apne mayke chali gayi jo ab tak wahi h. is bich hamare bich me koi sambadh nahi raha. bad me ham logo ko pata chala ki uska character thik nahi h or uske pitaji bhi kahte h ki meri beti ke kai dost rahe h. ab unhone october 2012 ko mere or mere pariwar k khilaf 498 ka case kar diya h wo case abhi chal raha h. ab me usse divorce chahta hu or ham dono k bich me pichale 4 salo se koi reletion nahi to kya me is adhar par divorce file kar sakta hu ya koi or proof chahiye. ye kaise sambhav hoga pls help.
mere pitaji k death 2001 me ho chuki h or wo meri mataji ki samapti me bhi hissa chahti h.
dear sir
meri shadi 13 march 2008 ko ratangarh ( rajasthan ) me hui. ladki wale jaipur ke h or unhone ratangarh aake shadi ki. shadi k bad wo 13 july 2009 ko wapas apne mayke chali gayi jo ab tak wahi h. is bich hamare bich me koi sambadh nahi raha. bad me ham logo ko pata chala ki uska character thik nahi h or uske pitaji bhi kahte h ki meri beti ke kai dost rahe h. ab unhone october 2012 ko mere or mere pariwar k khilaf 498 ka case kar diya h wo case abhi chal raha h. ab me usse divorce chahta hu or ham dono k bich me pichale 4 salo se koi reletion nahi to kya me is adhar par divorce file kar sakta hu ya koi or proof chahiye. ye kaise sambhav hoga pls help.
mere pitaji k death 2001 me ho chuki h or wo meri mataji ki samapti me bhi hissa chahti h.
is dauran 2009 me uske 1 ladka hua jisko maine aajtak nahi dekha oir mujhe shak h ki wo mera nahi h.
उपरोक्त मामले से पता चलता है कि कई बार पति-पत्नी के बीच कोई मनमुटाव नहीं होता है. लेकिन दोनों परिवारों की वजह से एक परिवार तहस-नहस हो जाता है. इस समस्या में उपरोक्त व्यक्ति की पत्नी को उसका साथ देना चाहिए.
रमेश कुमार निर्भीक का पिछला आलेख है:–.मैंने “आम आदमी पार्टी” से कहा कि-मुझे आपसे झूठ बोलकर “टिकट” नहीं लेना है