उ.प्र. कृषि-भूमि में मृतक की विवाहित पुत्री का अधिकार
समस्या-
अंश यादव ने ग्राम-लहिया, जिला-उन्नाव, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
हमारी दादी के पास दो एकड़ जमीन थी, जो उन्हें उनके पहले पति की मृत्यु के पश्चात् प्राप्त हुई थी। उनके पहले पति से कोई संतान नही थी, उसके बाद उन्होंने हमारे दादा जी से शादी की, जिनसे उन्हें तीन लड़के राजपाल यादव, मुन्ना लाल यादव, सुरेश यादव ने जन्म लिया। हमारी दादी ने तीनों लोगो के नाम सन 1978 में पंजीकृत वसीयत लिखा दी। सन 1984 में दादी की मृत्यु हो चुकी है और उनके दो लड़के राजपाल की 2013 में और सुरेश यादव की 2016 में मृत्यु हो चुकी है। अब सिर्फ मुन्ना लाल यादव जिंदा हैं राजपाल यादव की एक विवाहित लड़की है और सुरेश यादव अविवाहित थे जमीन अभी भी दादी के नाम है अब इन तीनो लोगो में दादी की जमीन का वारिश कौन होगा। तीनों लोग या हमारे पिता मुन्ना लाल यादव जो की अभी जीवित है।
समाधान-
आप की दादी की भूमि उत्तर प्रदेश में स्थित है और प्रादेशिक राजस्व विधि से शासित होते हैं। आप की दादी ने अपनी भूमि वसीयत द्वारा अपने तीनों पुत्रों को बाँट दी। उन में से एक राजपाल की 2013 में तथा सुरेश यादव की 2016 में मृत्यु हो गयी। सुरेश यादव का कोई अन्य वारिस नहीं था।
दादी का देहान्त 1984 में हुआ तब जमीन के तीनों भाई हिस्सेदार थे। राजपाल की 2013 में मृत्यु हो गयी उस की मृत्यु होते ही उस का हिस्सा उस की विवाहित पुत्री को विरासत में प्राप्त हो गया। किसी पुरुष के उत्तराधिकार में भाई से पहले मृतक की विवाहित पुत्री का अधिकार है। इस तरह वर्तमान भूमि में एक तिहाई हिस्सा राजपाल की विवाहित पुत्री का है।
शेष दो हिस्सों में से एक सुरेश यादव का था जिस की 2016 मे मृत्यु हो गयी। उस के वारिस के रूप में उन के भाई मुन्नालाल मौजूद हैं। राजपाल की पुत्री को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के अनुसार कोई उत्तराधिकार प्राप्त नहीं होगा। इस तरह मुन्नालाल को सुरेश का हिस्सा प्राप्त हुआ। वर्तमान में बंटवारा होता है तो एक हिस्सा राजपाल की पुत्री को तथा दो हिस्से मुन्नालाल यादव को प्राप्त होंगे।