खेती की जमीन में पुत्री का अधिकार
नीता ने दिल्ली से हरियाणा राज्य की समस्या भेजी है कि-
मैं ग्राम चरखी, तहसील दादरी, जिला भिवानी, हरियाणा से हूँ। मैं जानना चाहती हूँ कि क्या पिता जी के जीवित रहते बेटी पुश्तैनी जमीन में अपना हिस्सा ले सकती है? हम तीन भाई व दो बहनें हैं। हम सभी शादीशुदा हैँ। माता पिता जीवित हैं। मेरे पिता जी के पास ३२ एकड़ पुश्तैनी जमीन थी। जो कि मेरे पिता जी के पिता उनके पिता उन के फिर उन के पिता फिर उनके पिता से पीढियों से आई थी। लगभग २० साल पहले मेरे पिता जी ने हक त्याग कर के करके आठ-आठ एकड़ जमीन मेरे तीनों भाईयों के नाम करा दी तथा आठ एकड़ अपने नाम रख ली। हम दोनों बहनों से पूछा भी नहीँ गया। ऐसा करते समय पिता जी ने हमें बताया भी नहीं। हम दोनों बहनों के कहीं हस्ताक्षर भी नहीं हैं। हमें अन्धेरे मे रखा गया। हमें इस की जानकारी अभी एक महीना पहले लगी है। अब मैं मेरे हिस्से की जमीन लेना चाहती हूँ। क्या अब भाईयों के नाम की गई जमीन रद्द हो सकती है? क्या मुझे ३२ एकड़ में मेरा हिस्सा मिल सकता है? अब मुझे मेरे हिस्से की कितने एकड़ जमीन मिल सकती है? मेरे हिस्से की जमीन लेने के लिए मुझे क्या करना होगा? इस विषय में इस सन्दर्भ मे कोई सुप्रीम कोर्ट के आदेश हों तो उस की जानकारी दें। इस के साथ ही कानूनी कार्यवाही की जानकारी उपलब्ध कराएँ।
समाधान-
तीसरा खंबा किसी व्यक्ति का वकील नहीं है। हम केवल समाधान सुझाते हैं। यदि किसी को वह समाधान अच्छा लगता है तो वह आगे कार्यवाही कर सकता है। हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला भी तभी देते हैं जब जरूरी हो जाता है। यह सब काम भी नहीं आता। जब समाधान के लिए आप अदालत जाएंगे तो आप को वकील करना ही होगा। तब जो विवाद बिन्दु निर्धारित होंगे उस के हिसाब से न्यायालयों के निर्णय वह खुद तलाश लेगा। इस के लिए अभी से सहेजे हुए निर्णय बेकार भी सिद्ध हो सकते हैं।
आप के कथनों के अनुसार आप के पिता की जमीन पुश्तैनी थी। पुश्तैनी जमीन में 17 जून 1956 के पहले लड़कियों को अविवाहित रहने तक ही केवल जीवन निर्वाह का हक था। उन का कोई हिस्सा नहीं था। यदि आप के दादा जी का देहान्त उक्त तिथि के उपरान्त हुआ है और आप के बुआएँ भी हैं तो फिर आप के दादा जी की जमीन का उत्तराधिकार पुश्तैनी जमीन के हिसाब से नहीं अपितु उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार तय होना चाहिए था। यदि ऐसा हुआ है तो आप के पिता के हिस्से में जो जमीन आयी उस पर आप का कोई अधिकार पिता के जीवित रहते नहीं था। यदि उन्हों ने अपने और पुत्रों के बीच तब आपस में बँटवारा कर लिया और उस के हिसाब से हकत्याग कर के जमीन के हिस्से कर लिए तो उस पर अब आपत्ति उठाना संभव प्रतीत नहीं होता।
लेकिन वह बँटवारा या हकत्याग या रिकार्ड में कोई अन्य परिवर्तन कानून के हिसाब से गलत हो तो 2005 में बेटियों को जन्म से पुश्तैनी संपत्ति में अधिकार प्राप्त हो गया है और आप बँटवारे का वाद संस्थित कर सकती हैं। इस के लिए आप को 17 जून 1956 के पूर्व से आज तक के राजस्व रिकार्ड को खंगालना होगा और उस में हुए परिवर्तनों की जाँच करनी होगी कि वे तत्कालीन कानून के हिसाब से हुए हैं या नहीं? उस जमीन में आप का हक बनता है या नहीं? इस के लिए आप को किसी अच्छे और विश्वसनीय स्थानीय वकील से मदद ले कर सारे रिकार्ड की जाँच करवानी चाहिए और फिर उस की राय के हिसाब से कार्यवाही करनी या नहीं करनी चाहिए।
SIR MENE २०-११-२०१५ को EK PROBLEM BHEJI THI USKE BARE ME अवेयरनेस DENA URGENT HAI DELAY NA HO JAYE जस्टिस PARAPAT KARANE ME THANKS