पैतृक संपत्ति में पुत्री का हिस्सा
समस्या –
उदयपुर, राजस्थान से प्रियंका ने पूछा है –
मैं एक महिला हूं। मेरा एक भाई भी है। अपने पिता की हम दो ही संतान हैं। मेरे पिता को पिछले साल दादा जी के मौत के बाद विरासत में खेती की जमीन अपने पिता से मिली है। मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या मेरे पिता सिर्फ मेरे भाई को उस संपत्ति का वारिस बना सकते हैं या पिता की इच्छा न होने पर भी मुझे उसमें हिस्सा मिल सकता है। कृपया दादा की संपत्ति में हक के बारे में बताएँ।
समाधान –
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 में 2005 में हुए संशोधन से पैतृक /सहदायिक संपत्ति में पुत्रियों को पुत्रो के समान ही अधिकार प्राप्त हो गए हैं। लेकिन आप के मामले में यह देखना पड़ेगा कि जो भूमि आप के दादा जी से आप के पिता को प्राप्त हुई है उस की स्थिति 17 जून 1956 के पूर्व क्या थी। यदि उक्त तिथि के पूर्व उक्त संपत्ति आप के किसी पूर्वज को उन के पूर्वज से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई थी तो यह संपत्ति सहदायिक / पुश्तैनी संपत्ति है और इस संपत्ति में आप का वर्तमान में अधिकार निहित है। आप का जो भी हिस्सा उक्त भूमि में है उस पर आप का अधिकार है उसे आप की सहमति के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता। लेकिन इसी तरह उस में आप के पिता और भाई का भी हिस्सा होगा। पिता चाहेँ तो उन के हिस्से की भूमि वे अपने पुत्र या पुत्री दोनों को दे सकते हैं।
यदि यह संपत्ति आप के दादा जी की स्वअर्जित संपत्ति थी तो फिर आप के पिता को वह उत्तराधिकार में प्राप्त हुई थी तो उस संपत्ति पर आप के पिता का संपूर्ण अधिकार है। वे अपने जीवनकाल में इसे विक्रय कर सकते हैं, दान कर सकते हैं या वसीयत कर सकते हैं। यदि आप के पिता उक्त संपत्ति को वसीयत करते हैं तो जिसे भी वे वसीयत करेंगे, उन के जीवनकाल के उपरान्त यह संपत्ति उसी वसीयती की हो जाएगी। न आप और न ही आप के भाई उस पर कोई आपत्ति कर सकते हैं। यदि पिताजी अपने जीवन काल में उक्त संपत्ति को किसी भी प्रकार से हस्तान्तरित नहीं करते हैं और शेष रह जाती है तो आप के भाई और और आप को आधी आधी संपत्ति उत्तराधिकार में प्राप्त हो सकती है।
मेरे अंकल कहि और गोद जा चुके हैं और उनका गौदनामा भी हुआ है पर उनका नाम मेरे पापा की संपत्ति में भी नाम है और वो अब यहां भी हिस्सा माँग रहे हैं
उनका नाम हम अपनी संपत्ति में से कैसे हटाए?
मे ये पुछना चाहता हू कि पुत्री के पिता की इचछा के विरुधद अनतरजातीय विवाह करने पर पिता व माता कि सव अरिजत समपति मे अधिकारी है कि नही
एवम वो कानूनी रुप से समपति मै हिससा के लिये परेशान न उस के लिये मे कया कर सकता हू
मेरे नाना की जमींन में मेरी माताजी का नाम कैसे जुड़े वो जमींन नाना को भी विरासत में मिली है मेरे नाना के मरने के तीन महीने के बाद मेरी माताजी का जनम हुआ
तब तक मेरे तीनो मामा जमींन में अपना नाम जुड़वाँ चुके थे
खातेदारी मामाओं के नाम ही है नानी हमारी
तरफ ही है
अगर उक्त जमींन में दावा किया जावे तो फैसला कितने दिनों में आजावेगा
सर जी नमस्कार
मुझे आप से यह पूछना है की मेरे दादा जी ने मेरे पिताजी को शादी के कुछ टाइम लगभग १३ य१४ साल के बाद हमरा बटवारा कर दिया था उस बटवारे में हमे एक पिलोत दिया और एक छोटी दुकान और ६०००० रुपये और माकन बना कर देने का वादा किया ठीक है जी
पर हमें हमें जो पिलोत मिला उसका इकरार नामा था और वो मेरे चाचा
और ताऊ के नाम था जब हमें वो शादी के लिए सेल करना था इकरार नामा जिससे हमारे दादा जी ने ख़रीदा था उसके लड़के ने उस पर कब्ज़ा कर लिया इस तरह से हुम्हे कुछ भी नहीं मिला नहीं हमरा माकन बना कर दिया तो आप से सलहा है की आप हुम्हे कुछ सुजाव दे अभी मेरे दादा जी की ११ भिघा जमहीन है तो आप से अनुरोध है आप हुम्हे कुछ सलहा दे
की वजे से चला गया
ऎसे ही चला गया और जो दुकान थी वो भी सेल कर दी कोईकी छोटी थी
aap ke dwara di gayi jankari se bahut phayda hota hai.