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मुस्लिम विधि में उत्तराधिकारी पुत्र और पुत्रियों के अधिकार

muslim inheritanceसमस्या-

शाहिद अली खान ने झुन्झुनूं, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरे दादा के चार बेटे और चार बेटियां हैं जिनका विवाह हो चुका है। मेरे दादा का देहांत हो चुका है तथा अब मेरे चाचा मेरे दादा जी के पूरे मकान और दुकानों पे कब्ज़ा कर के बैठे हैं और अपने भाइयों को हिस्सा नहीं दे रहे। कृपा कर के बताएं मुस्लिम कानून के अनुसार किस तरह बंटवारा करवाया जाये। क्या इसमें विवाहित बेटियां भी हिस्सा लेंगी?

समाधान-

मुस्लिम विधि में यदि किसी व्यक्ति के पुत्र न हो तो पुत्रियों को शेयरर माना जाता है, लेकिन यदि पुत्र हो तो वे रेजीड्युअरी हो जाती हैं। पुत्र और पुत्रियाँ दोनों होने पर पिता की संपत्ति में पुत्रों और पुत्रियों को प्राप्त होने वाली संपत्ति का अनुपात 2:1 होगा। लेकिन यदि अन्य क्यो शेयरर हुआ तो इस हिस्से में परिवर्तन हो जाएगा। इस कारण आप को यह बताना होगा कि दादा जी की मृत्यु के समय उन के कौन कौन से शेयरर तथा रेजीड्युअरी जीवित थे।

दि दादा जी के उत्तराधिकारियों में केवल 2 पुत्र और 4 पुत्रियाँ ही जीवित थीं तो चार हिस्से पुत्रियों के और 4 हिस्से पुत्रों के इस तरह कुल संपत्ति के 8 हिस्से होंगे।  दोनों पुत्रों में से प्रत्येक को 2/8 अर्थात 1/4 हिस्सा प्राप्त होगा।  जब कि प्रत्येक पुत्री को 1/8 हिस्सा प्राप्त होगा।

प के मामले में आप के चाचा ने सारी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है तो आप के पिता को या किसी भी अन्य उत्तराधिकारी को उक्त समस्त संपत्ति के बँटवारे के लिए दीवानी वाद संस्थित करना पड़ेगा। यदि चाचा संपत्ति को कब्जे में ले कर उस की आय को स्वयं के पास रख रहे हैं तो जो भी व्यक्ति बँटवारे का वाद संस्थित करे वह संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने अर्थात हस्तांतरित करने पर रोक लगाने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त करने का प्रयत्न कर सकता है और संपूर्ण संपत्ति पर रिसीवर नियुक्त करवा सकता है जिस से संपूर्ण संपत्ति रिसीवर के आधिपत्य में रहे और जो भी आय हो वह उस के पास संग्रहीत होती रहे। जब बँटवारा हो जाए तो संपत्ति के साथ साथ रिसीवर के पास उस संपत्ति से जो भी आय हो उसे भी बाँट दिया जाए।

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