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मृत पुत्र की संतानों को पुत्र के समान ही दादा की संपत्ति में उत्तराधिकार है।

समस्या-

नितिका चौहान ने ग्राम खेडली, पोस्ट भद्रबाद, जिला हरिद्वार, उत्तराखंड से पूछा है-

मेरा जन्म 1992 में हुआ था। मेरे मेरे दादाजी के दो पुत्र मेरे ताऊजी आदित्य कुमार और मेरे पिताजी रविंद्र कुमार थे। मैं रविंद्र कुमार जी की इकलौती संतान हूँ। मेरे पिताजी रविंद्र कुमार जी का देहांत 1994 में हो गया था।  उसके पश्चात मेरे दादा जी का देहांत 2011 में हो गया। मेरे दादाजी के बैंक खाते में जो धनराशि थी, मेरे दादाजी की मृत्यु के बाद मेरे ताऊजी ने उसको निकाल लिया और उसमें मुझे कोई हिस्सा नहीं दिया। मुझे बैंक जाकर पता चला कि मेरे ताऊजी ने परिवार रजिस्टर की जो नकल वहां लगाई थी उसमें मेरे ताऊजी ने मुझे अपनी पुत्री दर्शाते हुए बैंक खाते से धनराशि प्राप्त कर ली है।  मैं जानना चाहती हूं कि क्या उस धनराशि पर मेरा भी उतना ही हक था, जितना कि मेरे दादा जी की मृत्यु के बाद मेरे ताऊजी का था।

समाधान-

बिलकुल आप ने सही कहा। उस धनराशि पर आप का उतना ही अधिकार था जितना की आप के ताउजी को था। किसी पुरुष की मृत्यु के उपरान्त उत्तराधिकार धारा 8 हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अंतर्गत तय होता है। धारा 8 में सब से पहले उन लोगों का बराबर का अधिकार होता है जो अधिनियम की अनुसूची की प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी हों। उस में पुत्र और पूर्व मृत पुत्र के पुत्र-पुत्री एक साथ रखे गए हैं। क्यों कि आप अपने पिता की इकलौती संतान हैं तो आप का अपने दादाजी की संपत्ति पर उतना ही अधिकार है जितना कि आप के ताऊजी को है।

बैंक किसी भी प्रकार से आप के ताऊ जी को यह धन नहीं देता और उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र की मांग करता। लेकिन आप के ताऊजी ने आप को अपनी पुत्री बता दिया। जीवित पुत्र की पुत्री तो प्रथम श्रेणी की उत्तराधिकारी नहीं है इस कारण बैंक ने वह धन आप के ताऊजी को दे दिया।

लेकिन इस तरह गलत सूचना दे कर बैंक से धन प्राप्त करना धारा 402 भारतीय दंड संहिता व अन्य कुछ धाराओं के अंतर्गत अत्यन्त गंभीर अपराध है। यदि आप पुलिस में रिपोर्ट करें या पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न करने पर मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद करें और आप के ताऊजी के विरुद्ध अभियोजन संस्थित हो तो उन्हें हर हाल में कारावास की सजा हो जाएगी।

स के अतिरिक्त आप जितना धन आप के ताऊजी ने बैंक से प्राप्त किया है उस के आधे धन और वह धन प्राप्त करने से लेकर उस की अदायगी तक के ब्याज प्राप्त करने के लिए आप दीवानी न्यायालय में दीवानी वाद संस्थित कर सकती हैं।