संपत्ति के बँटवारे का वाद राजस्व न्यायालय में संस्थित करें।
समस्या-
दिनेश ने भुवाना, उदयपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मेरे दादा जी की मृत्यु फरवरी 2001 में हो गयी थी। दादा जी ने अगस्त 2000 में सारी संपत्ति मेरे चाचा जी के नाम वसीयत कर दी थी। यह सारी संपत्ति पुश्तैनी है। पटवारी और तहसीलदार ने वसीयत खारिज करते हुए 3 भाई और 4 बहनों के नाम इन्तकाल में चढ़ा दिए हैं। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
जो भी संपत्ति पुश्तैनी होती है वह सदैव पुश्तैनी ही रहती है। लेकिन 2001 में प्रचलित हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार जिस व्यक्ति के उत्तराधिकारियों में पुत्रियाँ भी हों पुश्तैनी संपत्ति में उस के हिस्से की संपत्ति का उत्तराधिकार धारा 8 हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार होगा। इस तरह राजस्व रिकार्ड में हुआ नामांतरण सही है। इस भूमि में आप के पिता का हिस्सा तो हैे ही आप का भी हिस्सा जन्म से ही है।
यदि आप चाहते हैं कि इस संपत्ति में आप के अपने हिस्से की संपत्ति पर आप को पृथक कब्जा मिल जाए तो आप उक्त भूमि के बंटवारे का वाद निकट के एसडीओ की अदालत में दाखिल कर सकते हैं।