संयुक्त संपत्ति का हिस्सेदार संपत्ति में अपने हिस्से की संपत्ति हस्तान्तरित कर सकता है।
समस्या-
यश ने कैथल हरियाणा से पूछा है-
मेरी एक महिला मित्र है उसका 498ए, 406,506 368 आईपीसी का एक मुकदमा कोर्ट में चलरहाहै। उस महिला ने अपने ससुर से कुछ जमीनभी खरीदी थी। उसमहिला के दो बचचेभी हैंजो उस की ससुराल में उसके पति के पास हैं अबउसमहिला का ससुर बाकीसबजमीन बेचनाचाहताहै। क्या वह महिला उसको किसी भीप्रकार से बेचने से रोक सकती है! उस महिला और उसके ससुर तथा कुछ अन्य लोगभी उस जमीन के सांझी खेवट के हिस्सेदार हैं उस महिला का उद्देश्य अपने बच्चोंके भविष्य की सुरक्षा करना है यदि वह खेवट अलग करने का दावा करे तो क्या तब तक जमीन नहीं बिक सकती है जब तक खेवट अलग न हो?
समाधान-
भूमि, कृषिभूमि और स्थावर संपत्तियों के स्वामित्व में परिवर्तन होते रहते हैं। किसी की मृत्यु हो जाने पर उस का स्थान उस के वसीयती या फिर उत्तराधिकारी ले लेते हैं। इस तरह सम्पत्ति के स्वामित्व में हिस्सेदारी बदलती रहती है। कोई भी हिस्सेदार अपने हिस्से के स्वामित्व को हस्तान्तरित कर सकता है। जब की वास्तविक उपभोग या सपंत्ति पर कब्जा उस के सभी स्वामियों का नहीं होता। वर्तमान में आप की महिला मित्र ने जिस जमीन को खरीदा है वह भी स्वयं उस के कब्जे में नहीं है। केवल उस के पास जमीन के एक हिस्से का स्वामित्व है। जब वह खुद अपने ससुर से किसी जमीन के हिस्से का स्वामित्व खरीद सकती है तो कोई दूसरा भी खरीद सकता है। यदि उस का ससुर उस के हिस्से की जमीन को छोड़ कर शेष का स्वामित्व विक्रय करता है तो वह सारी जमीन का कब्जा जिस में आप की महिला मित्र का हिस्सा भी सम्मिलित है उस का कब्जा भी क्रेता को दे सकता है। तब जमीन का स्वामित्व तो आप की महिला मित्र का रहेगा लेकिन कब्जा ससुर से किसी और के पास चला जाएगा। फिर आप की मित्र उस क्रेता से कब्जा प्राप्त करने के लिए लड़ती रहे और कब्जेदार क्रेता जब तक कब्जा न छोड़े तब तक उस का उपभोग करता रहे।
आप की मित्र को चाहिए कि वह तुरन्त विभाजन का वाद राजस्व न्यायालय में प्रस्तुत करे जिस में वह यह प्रार्थना न्यायालय से करे कि विभाजन कर के उसे उस के हिस्से की जमीन का पृथक कब्जा दिलाया जाए। उसे उसी वाद में एक अस्थाई निषेधाज्ञा का आवेदन दे कर यह प्रार्थना करे कि उस के हिस्से को न बेचा जाए और जमीन का कब्जा किसी अन्य को हस्तान्तरित नहीं किया जाए।