हक तर्क करना या रिलीज डीड निष्पादित करना क्या है?
15/06/2017 | Civil Law, Legal Remedies, Property, Succession, उत्तराधिकार, कानूनी उपाय, संपत्ति | No Comments
| समस्या-
सुरेन्द्र पाल सिंह ने बालोतरा, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
क्या किसी नाबालिग (18 वर्ष से कम) के नाम जमीन का हक तर्क किया जा सकता हे? हक तर्क करने के नियम क्या है ? हक तर्क से सम्बंधित नियम और कानून की जानकारी कौन सी किताब या नियमावली या अधिनियम में मिल सकती है? जानकारी प्रदान करवाने की कृपा करावे।
समाधान-
हक तर्क करना अथवा रिलीजी डीड निष्पादित करने का अर्थ है किसी संपत्ति में अपने अधिकार को किसी दूसरे के हक में छोड़ देना है। लेकिन इस के लिए जरूरी है कि जो हक तर्क कर रहा है और जिस के हक में हक तर्क किया जा रहा है दोनों एक ही सम्पत्ति में हिस्सेदार हों और संपत्ति संयुक्त हो। जैसे किसी व्यक्ति के देहान्त के उपरान्त उत्तराधिकार में संपत्ति उस के उत्तराधिकारियों को प्राप्त हो जाती है। तब कोई एक या अधिक उत्तराधिकारी किसी दूसरे उत्तराधिकारी के हक में अपना हक छोड़ सकते हैं। दो लोगों ने संयुक्त रूप से संपत्ति खरीदी हो और दोनों संयुक्त स्वामी हों तो उन में से एक दूसरे के हक में हक त्याग कर सकता है।
हक तर्क करने वाले का वयस्क होना जरूरी है। जिस के हक में हक तर्क किया जा रहा है उस का बालिग होना जरूरी नहीं है वह नाबालिग हो सकता है। हक तर्क करना एक प्रकार से संपत्ति का हस्तान्तरण है और 100 रुपए से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति के हस्तान्तरण का पंजीकरण होना जरूरी है। यदि हक तर्क की जाने वाली सम्पत्ति का मूल्य यदि 100 रुपए से अधिक है और वह अचल संपत्ति है तो हक तर्क करने के दस्तावेज का पंजीकृत होना जरूरी है।
हक तर्क करने / रिलीज डीड निष्पादन के मामले में दो अधिनियम सामने हैं। एक तो संपत्ति हस्तान्तरण अधिनियम और दूसरा पंजीकरण अधिनियम। पंजीकरण के लिए स्टाम्प ड्यूटी और फीस का पता करना भी जरूरी है क्यों कि रिलीज डीड पर पंजीकरण शुल्क अन्य हस्तान्तरणों से कम है।
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