नोमिनी पर आपत्ति होने पर उत्तराधिकार प्रमाण पत्र आवश्यक है।
राज शर्मा ने गुना, मध्यप्रदेश से पूछा है-
हमारे पिताजी की अचानक मृत्यु आज से करीब 18 महीनेपहले हो चुकी है। पिताजी नगरपालिका में लेखापाल के पद पर कार्यरतथे। मां का स्वगर्वास भी करीब 13-14 वर्ष पहले हो चुका है। उनकेहम दो पुत्र हैं। हमारी मां का स्वर्गवास होने के बाद हमारे पिताजी कीदूसरी शादी हो गई उनसे उन की दो पुत्रियां हैं। पितजी की मृत्यु के बादमेंने नगरपालिका में अनुकम्पा निुयुक्ति एवं उनके सभी क्लेमों के लिएआवेदन दिया है। लेकिन उन पर हमारी दूसरी माँ ने आपत्ति प्रकट कर दी और वहचाहती है कि पिताजी के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति एवं उनके सभी क्लेमोंका भुगतान उन को किया जावे और इसके अलावा पिताजी के नाम पर एक भूखंड भी है।उस भूखंड के लिए हमारी सौतेली मां ने नामांतरण के लिए आवेदन दिया है जिसपर हम दोनों भाईयों ने आपत्ति दर्ज की है। हमारी आपत्तियों बाद मुख्यनगरपालिका अधिकारी ने हमारी सौतेली मां को और हमें उत्तराधिकार प्रमाण पत्र लानेको कहा है, वे उसी के अनुसार हमारे दावों का भुगतान करेंगे। लेकिनहमारे पिताजी ने अपनी मृत्यु के पहले ही उनके सर्विस रिकार्ड में जोनोमीनेशन करे हैं वह हम दोनों भाईयों के नाम पर है हमारी दूसरी मां काउसमें कहीं भी कोई नाम नहीं है। इस से यह साबित हेाता है कि हम दोनों भाई हीउनके असली वारिस हैं फिर हमसे वैध उत्तराधिकार प्रमाण पत्र क्यों मांगा जा रहा है?हमारी आपत्तियां दर्ज होने के बावजूद भी नगरपालिका मुख्य अधिकारी ने हमारेपितजी के सभी क्लेमों का पैसा जिन पर हम दोनों भाइयों का नोमीनेशन है केबाद भी हमारी सौतेलीमां के खाते में जमा करा दिया है और अनुकमपा नियुक्तिभी उन्हीं को देने की बात करते हैं। जब कि हमारी सौतली मां का पूर्व पतिअभी जीवित है और हमारी सौतेली मां और उनके पूर्व पति के बीच अभी तक वैधानिकरूप से तलाक नहीं हुआ है। सवाल यह है कि हम दोनों भाइयों के नाम नोमीनेशनहोने के बावजूद भी हम से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र क्यों मांगा जा रहा और हमारीसौतेली मां को बिना तलाक के हमारे पिताजी की पत्नी मानकर हमारे सारे हकउनको क्यों दिये जा रहै है? आज तक हम दोनों भाई बेरोजगार हैऔर हमारे पास आय का कोई स्त्रोत नहीं है। इस भीषण मंहगाई में हमें काफीआर्थिक परेशानियों से गुजरना पड रहा है इस संबंध में में आपसे उचितमार्गदर्शन चाहता हूं कि ऐसी स्थिति में हमें क्या कार्यवाही करनी चाहिए औरकैसे करनी चाहिए?
समाधान-
आप के पिता जी ने आप की माता जी की मृत्यु के उपरान्त दूसरा विवाह ऐसी स्त्री से किया है जो पहले से विवाहित थी और उस का पहले पति से विवाह विच्छेद नहीं हुआ था तथा जिस का पहला पति अभी तक जीवित है। इस तरह उस स्त्री का दूसरा विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार वैध नहीं है। वह स्त्री आप के पिता की वैध पत्नी नहीं है, इस कारण से वह आप के पिता जी की उत्तराधिकारी भी नहीं है। यदि आप किसी भी दीवानी न्यायालय के समक्ष यह साबित कर देते हैं कि उस स्त्री का पहले विवाह हुआ था और उस का पहला पति जीवित है और उस से उस का विवाह विच्छेद नहीं हुआ है तो फिर वे किसी भी प्रकार से आप के पिता की उत्तराधिकारी नहीं होंगी और उन के उत्तराधिकारी होने के सारे दावे समाप्त हो जाएंगे।
इस स्त्री के आप के पिता की वैध पत्नी साबित नहीं होने के कारण उस से उत्पन्न दो पुत्रियों का दावा भी संदिग्ध हो जाएगा कि वे आप के पिता की पुत्रियाँ हैं। यदि वे यह साबित कर दें कि आप के पिता ही उन के जैव पिता थे तो फिर वे भी आप के पिता की उत्तराधिकारी होंगी।
विभाग में बकाया वेतन, ग्रेच्यूटी और प्रोवीडेण्ट फण्ड के लिए नोमीनेशन होता है। इस नोमिनेशन का सामान्य अर्थ यह है कि कर्मचारी के देहान्त के बाद उस खाते का भुगतान उस के नोमिनी को कर दिया जाए। लेकिन नोमिनी उत्तराधिकारी नहीं होता। वह केवल ट्रस्टी होता है। उस का दायित्व होता है कि उसे इस तरह प्राप्त राशियाँ वह सभी उत्तराधिकारियों में उन के हिस्सों के हिसाब से वितरित कर दे। यदि नोमिनी के होते हुए कोई उत्तराधिकारी नियोजक के समक्ष आपत्ति कर दे तो आम तौर पर नियोजक उन राशियों का भुगतान करना रोक देते हैं। कई बार आपत्तिकर्ता न्यायालय में दावा प्रस्तुत कर स्थगन भी प्राप्त कर लेता है। वैसी स्थिति में विभाग के पास एक मात्र मार्ग यह रह जाता है कि वह सभी दावेदारों से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने को कहे और ऐसा प्रमाण पत्र प्रस्तुत होने पर उस के हिसाब से कार्यवाही करे। इस कारण नगरपालिका द्वारा आप को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए सही कहा है। आप को जिला न्यायालय में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन कर देना चाहिए।
जहाँ तक अनुकंपा नियुक्ति का प्रश्न है आप दोनों भाइयों में से किसी एक ने उस के लिए आवेदन कर ही दिया होगा। लेकिन आप की दूसरी माँ की आपत्ति के कारण वे यह निश्चय नहीं कर पा रहे हैं कि ऐसे में क्या किया जाए। इस मामले में आप को एक घोषणा का वाद दीवानी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए कि आप दोनों भाई ही आप के पिता के परिवार के सदस्य हैं और उन के आश्रित हैं तथा अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त करने के अधिकारी हैं। उसी वाद में आप को यह साबित करना होगा कि आप की दूसरी मां का आप के पिता के साथ कोई विवाह नहीं हुआ था और यदि किसी तरह का कोई अनुष्ठान हुआ भी था तो भी उस स्त्री का पहला पति जीवित होने तथा उस से उस का विवाह विच्छेद न होने के कारण यह विवाह अवैध था। यदि आप यहाँ यह सब साबित कर देते हैं तो न्यायालय इस बात की घोषणा कर देगा।
इस तरह आप को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए आवेदन तुरन्त करना चाहिए तथा घोषणा का वाद भी प्रस्तुत करना चाहिए।