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पुश्तैनी संपत्ति क्या है?

real5समस्या-

संजय गुप्ता ने भोपाल, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

कान पुश्तैनी संपत्ति से पिता को हुई आय से बनाया गया है, इस कारण वह पुश्तैनी है और पिता उसे बेच नहीं सकते। १.पुश्तैनी संपत्ति किसे कहते हैं? २.पुश्तैनी संपत्ति में किस का हक होगा? ३.पुश्तैनी संपत्ति बेचने का नियम क्या हैं? ४.क्या इसमे नाती पोतों का हक होगा?

समाधान-

प ने वास्तविक समस्या को उस के तथ्यों सहित नहीं रखा है जिस के कारण बहुत स्पष्ट समाधान प्रस्तुत कर पाना तो संभव नहीं है। लेकिन आप की जिज्ञासा का उत्तर देने का प्रयत्न किया जा रहा है। हो सकता है इस से आप का असमंजस और बढ़ जाए। इस तरह के मामले में जानकार स्थानीय वकील की सलाह लिना अधिक उचित है। हालांकि इस मामले में जानकार वकीलों का मिलना बहुत कष्टसाध्य होता है।

17 जून 1956 के पूर्व किसी पुरूष की मृत्यु के कारण उस के पुरुष उत्तराधिकारियों को प्राप्त संपत्ति पुश्तैनी संपत्ति है। इस तरह की संपत्ति में मृत पुरुष से चार पीढ़ी नीचे तक के वंशजों का जन्म से अधिकार निहित हो जाता है। यदि कोई संपत्ति एक बार पुश्तैनी हो जाती है तो वह पुश्तैनी बनी रहती है। उस में किसी सहदायिक के देहान्त पर हिस्से का दाय उत्तरजीविता के आधार पर होता था।

पुश्तैनी संपत्ति में उक्त तिथि के पूर्व तक केवल पुरुष वंशजों का सहदायिक अधिकार रहता था। लेकिन हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के बाद से सहदायिक संपत्ति के हिस्सेदारों में किसी पुरुष के देहान्त के बाद उस के उत्तराधिकारियों में कोई स्त्री हुई या किसी दिवंगत स्त्री के अधिकार से कोई उत्तराधिकारी हुआ तो उस के हिस्से का दाय उत्तरजीविता के आधार पर होने के स्थान पर इस अधिनियम की धारा-8 के अनुसार होने लगा। जिस से पुत्रियों और पत्नियों को भी सहदायिक संपत्ति में हिस्सेदारी मिलने लगी। लेकिन उन की यह हिस्सेधारी जन्म से नहीं थी।

धिनियम में 2005 में हुए संशोधन से पुत्रियों को भी यह अधिकार जन्म से ही प्राप्त होने लगा है। यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि किस किस का पुश्तैनी संपत्ति में हक होगा। पुश्तैनी संपत्ति सहदायिकों की सहमति से विक्रय की जा सकती है। इस संपत्ति में नाती पोतों का हक भी होता है।

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