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… मुसीबत किसी भी समय धरती फोड़ कर बाहर निकल सकती है

समस्या-

चन्‍देरी, मध्यप्रदेश से कुलदीप कोली ने पूछा है –

मारे पापा लोग 6 भाई है 2 चाचा बाहर नौकरी करते हैं।  हमारे सब से छोटे चाचा की शादी लगभग 20 वर्ष पूर्व ग्वा‍‍लियर से हुयी थी।  चाची झूठा दहेज प्रकरण लगाकर लगातार पैसों की मांग कर रही है। इस में हमारे पापा और एक चाचा का नाम झूठा फँसाया गया है। चाची चन्देरी में हमारे यहाँ रहती थी।  एक साल पूर्व घर से पूरा जेवरात ले कर भाग गई और चन्देरी थाने में प्रकरण दर्ज करा दिया जो झूठा है। हमें क्या करना चाहिए।

समाधान-

Wife 50-50मारा समाज बहुस्तरीय है। संविधान और कानून जहाँ स्त्रियों को बराबरी का अधिकार देता है वहीं हमारा समाज इस के लिए अभी तैयार नहीं है। वह पुरानी रवायतों को बनाए रखना चाहता है जिस में स्त्रियों को अधिकार नहीं थे। अभी कितने लोग हैं जो माता, पिता की मृत्यु पर बहनों को संपत्ति में बराबर का अधिकार देना चाहते हैं? एक लड़की विवाह कर के ससुराल आती है साथ में कुछ जेवर और दहेज लाती है। वह 20 साल तक संयुक्त परिवार में रहती है। सुबह उठने से ले कर सोने तक काम करती है। घर के पुरुष दिन भर काम कर के कमाते हैं, जितना वे काम करते हैं उस से कम स्त्रियाँ घरों पर नहीं करतीं। पुरुषों को उन के काम का पूरा वेतन मिलता है या व्यवसाय से लाभ मिलता है जो पुरुषों की सम्पत्ति हो जाती है। लेकिन स्त्रियों को उन के काम के बदले क्या मिलता है? कुछ नहीं। उन स्त्रियों में से कोई एक अपने पति या ससुराल वालों के व्यवहार से या अनथक परिश्रम से थक कर अपने जेवर ले कर चली जाती है। अपने जो सामान आप के यहाँ छोड़ गई है उन की मांग करती है या उन्हें पाने के लिए मुकदमा कर देती है तो लोग उसे ही दोषी ठहराते हैं। वास्तव में तो जितनी संपत्ति पति ने पिछले 20 सालों में कमा कर बचाई है उस में आधी तो उस की पत्नी की ही है। क्यों कि उस में उस के श्रम की बलि चढ़ी है।

ब केन्द्र सरकार जल्दी ही कानून बनाने वाली है कि पति पत्नी के बीच यदि तलाक होाग तो पति की आधी संपत्ति पत्नी के नाम हस्तांतरित हो जाएगी अर्थात पति की सम्पत्ति में आधा हक पत्नी का होगा। इस कानून से सावधान हो जाइए। सब लोग जो अपनी पत्नी को ये अधिकार नहीं देना चाहते वे कानून बनने के पहले ही अपनी पत्नी को तलाक दे देंगे तो लाभ में रहेंगे वर्ना पत्नी ने बाद में तलाक मांग लिया तो आधी संपत्ति से हाथ धो बैठेंगे।

प को चाहिए कि आप का परिवार अपनी शेष बहुओं को संभाले उन से मनुष्य की तरह व्यवहार करे। यह मानें कि परिवार की समृद्धि में स्त्रियों का बराबर का हक है। उन्हें पारिवारिक निर्णयों में बराबरी प्राप्त है। जहाँ तक आप की चाची का प्रश्न है तो उस से मिलें। परिवार की गलतियाँ जो रही हों उन्हे स्वीकार करें। उसे मनाएँ। उसे कहें कि वह भी परिवार का उसी तरह समान हिस्सा है जैसे परिवार के अन्य पुरुष और महिलाएँ हैं। वह मान जाती है और मुकदमा खारिज करवा कर वापस आने को तैयार हो जाती है तो बहुत अच्छा है। नहीं होती है तो उसे उस के हक की राशि देकर चाचा-चाची के बीच सहमति से तलाक करवाइए। इस पर भी न माने तो अच्छा सा वकील करें जो कानूनी नुक्ते निकाल कर आप को इस मुकदमे की मुसीबत से बचा सके।

ब तो सब को यह सोच लेना पड़ेगा कि स्त्रियों को परिवार में बराबरी का अधिकार दे ही दें। उन्हें इंसान समझें, परिवार की बराबर की इकाई समझें। उन्हें बराबर का अधिकार भी दें।  न देंगे तो मुसीबत किसी भी समय धरती फोड़ कर बाहर निकल सकती है।

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