सहदायिक और स्वअर्जित संपत्तियों में बँटवारा
समस्या-
राजेश कुमार ने भूठन कलाँ, ज़िला फ़तेहाबाद, हरियाणा से पूछा है-
हमारे घर की ज़मीन मेरे दादा जी के नाम है जो कि अभी जीवित हैं। उनके एक बेटा और एक बेटी है। हम २ भाई और एक बहन हैं। अब मेरी बुआ जी अपना हिस्सा माँग रही हैं तो हमारे घर का बँटवारा कैसे होगा? क्या ज़मीन के 5 हिस्से होंगे या पापा और बुआ के नाम आधी ज़मीन होगी, बाद में पापा को जो जमिन मिलेगी उसमें हमारा हिस्सा होगा? अगर दादा जी अपनी इच्छा से ज़मीन अपने बेटे के नाम कर देते हैं तो क्या बुआ ज़मीन का हिस्सा ले सकती है?
समाधान-
आप की संपत्ति का बंटवारा इस तथ्य पर निर्भर करता है कि दादाजी के नाम जो जमीन है वह पुश्तैनी /सहदायिक है या नहीं? यदि वह सहदायिक नहीं हो कर उन की स्वअर्जित संपत्ति हुई तो उस का बँटवारा भिन्न रीति से होगा।
यदि संपत्ति स्वअर्जित है तो दादाजी के जीवन काल में किसी का कोई हिस्स नहीं है और बुआ को हिस्सा मांगने का कोई अधिकार नहीं है। यदि दादाजी उस संपत्ति की वसीयत कर देते हैं तो जिस के नाम वसीयत होगी उसे यह संपत्ति प्राप्त होगी। वसीयत किए बिना ही दादाजी का देहान्त हो जाता है तो उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार दाय होगा और आप के पिता और बुआ को आधी आधी संपत्ति प्राप्त होगी। आप को पिता के हिस्से की संपत्ति में इसी प्रकार अधिकार प्राप्त होगा।
यदि संपत्ति पुश्तैनी /सहदायिक है (पुश्तैनी सहदायिक संपत्ति क्या है यह इसी साइट पर अन्यत्र देखा जा सकता है) तो इस संपत्ति में आप के पिता, बुआ और दादाजी तीनों का समान हिस्सा है। दादाजी के रहते बुआ अपना हिस्सा मांगती है तो उसे 1-3 हिस्सा मिलेगा। यदि दादाजी वसीयत कर देते हैं तो दादाजी के जीवनकाल के बाद भी बुआ को 1/3 हिस्सा ही प्राप्त होगा। यदि वे वसीयत करते हैं तो उन के देहान्त के बाद जिस के नाम वसीयत होगी उसे उनके हिस्से की 1-3 संपत्ति प्राप्त हो जाएगी। अन्यथा यह हिस्सा भी उन के जीवनकाल के बाद आधा आधा आपकी बुआ और पिता के बीच बंट जाएगा।