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संयुक्त स्वामित्व की खेती की भूमि पर निर्माण के पहले बंटवारा जरूरी

समस्या-

रामप्रताप रामभवन तिवारी ने ग्राम सिकारिया, पोस्ट नांदी तौरा, तहसील कर्वी, थाना पहाड़ी, जिला चित्रकूट उत्तर प्रदेश से पूछा है –

समस्या उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिला कर्वी तहसील सिकारिया ग्राम के संदर्भ में है खाता संख्या 133 गाटा संख्या 281 रकबा 0.280 हेक्टेयर रामकृपाल पुत्र रामविशाल और वेद प्रकाश, शिव प्रकाश पुत्र रामविशाल के सहखातेदार के रूप में दर्ज है। जिसमें रामकृपाल पुत्र राम विशाल के हिस्से की जमीन से मैंने 5 विश्वा यानी 0.044 हेक्टेयर जमीन की बैनामा रजिस्ट्री करवा लिया हूं और उसका दाखिल खारिज हो करके खसरा खतौनी में मेरा नाम दर्ज हो गया है। इस जमीन पर मेरा कब्जा भी है उसमें मैं खेती करता हूं। लेकिन मैं उसमें मकान बनाना चाहता हूं तो रामकृपाल के पुत्र गण राम शंकर, शिव शंकर और शिव प्रकाश, वेद प्रकाश घर बनाने नहीं दे रहे हैं, वे कहते हैं की अभी हमारा शामिल (सह खातेदार) खाता है अभी हमारा खाता फाट नहीं हुआ है। तब तक आप मकान नहीं बना सकते और आपका जगह फिक्स नहीं है। जहां पर आप खेती कर रहे हैं वहां से आपको दूसरी जगह दे सकते हैं। जबकि मेरे स्टांप पेपर में चौहद्दी लिखी हुई है और चौहद्दी के ही जगह पर मैं खेती कर रहा हूं। सर मुझे मकान बनाना है तो मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान-

आप की समस्या उत्तर प्रदेश के भूमि संबंधी कानूनों और नियमों से संबंधित है। प्रत्येक राज्य की अपनी अपनी राजस्व विधि है जो राज्य में भूमि से संबंधित कार्यकलापों का नियंत्रण करती है। हम आम तौर पर राजस्व संबंधी समस्याओं का समाधान देने में असमर्थ रहते हैं। क्यों कि प्रत्येक राज्य के भूमि कानून (राजस्व विधि) से संबंधित विशेषज्ञ हमारे पास उपलब्ध नहीं होता है। किन्तु आप की समस्या पूरे देश की सामान्य समस्या होने के कारण इस का उत्तर हम दे रहे हैं।

कोई भी बेची जाने वाली अचल संपत्ति संयुक्त भी हो सकती है और एकल स्वामित्व वाली भी। किसी भी अचल संपत्ति के स्वामी की मृत्यु के उपरान्त वह संपत्ति उत्तराधिकार में किसी अन्य एक या अनेक व्यक्तियों को प्राप्त होती है। जब संपत्ति एकाथिक व्यक्तियों को प्राप्त होती है तब वे सभी संयुक्त रूप से उस के स्वामी हो जाते हैं। यदि संपत्ति मकान हुआ तो उस के स्वामी सुविधा की दृष्टि से उस का सामुहिक रूप से उपयोग करते हैं अथवा उसके अलग अलग हिस्सों को अपने उपयोग में लेते रहते हैं। जो हिस्सा जो व्यक्ति उपयोग में ले रहा है वह हिस्सा उस उपयोग में लेने वाले के कब्जे में होता है। इसी तरह खेती की जमीन की स्थिति होती है। यदि चार भाइयों को पिता से उत्तराधिकार में संपत्ति मिले तो वे उस पर सामुहिक रूप से भी खेती कर सकते हैं, या फिर उस के अलग अलग हिस्सों पर सहमति से काबिज हो कर खेती कर रहे होते हैं। लेकिन इस तरह उस जमीन या मकान का बंटवारा नहीं होता है। प्रत्येक व्यक्ति जिस हिस्से पर काबिज होता है और उपयोग कर रहा होता है वह सभी के स्वामित्व का होता है और विभाजन के होने तक वह उसकी व्यक्तिगत संपत्ति में परिवर्तित नहीं होता।
विभाजन भी आपसी सहमति से लिखित रूप से या मौखिक रूप से हो सकता है। जब वह लिखित रूप में हो तो उसका पंजीयन जरूरी होता है। अन्यथा उस लिखत को किसी भी न्यायालय में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। यदि वह मौखिक रूप से होता है तो अपने अपने हिस्सों पर काबिज होने और उन का उपयोग आरंभ कर दिए जाने के कुछ समय पश्चात विभाजन का मेमोरेंडम लिखा जाता है। इस मेमोरेंडम का पंजीयन आवश्यक नहीं है।
जब जमीन खेती की हो तो उस का इस तरह विभाजन तो कर दिया जाता है। लेकिन खेती की जमीन पर किसान केवल किराएदार की हैसियत से काबिज होता है जिस का किराया वह लगान के रुप में राज्य को अदा करता रहता है। जमीन का वास्तविक स्वामी तो राज्य होता है। राज्य राजस्व अभिलेख के रूप में सारी भूमि का रिकार्ड रखता है। इस कारण यदि विभाजन हो जाए तो वहाँ भी हर कृषक का खाता अलग होना चाहिए। उक्त विभाजन के दस्तावेज “बंटवारा नामा” या विभाजन के मेमोरेंडम के आधार पर राजस्व विभाग सभी स्वामियों के खाते तभी अलग अलग करता है जब उस भूमि के संयुक्त स्वामियों में से किसी को कोई आपत्ति नहीं हो।

आपने जो खेती की जमीन खरीदी है वह भी संयुक्त स्वामित्व की है जिस पर विभाजन नहीं हुआ है और केवल आपसी सहमति से लोग अलग अलग हिस्सों पर काबिज थे। इस तरह की संयुक्त संपत्ति में जो किसी हिस्सेदार का हिस्सा होता है उस हिस्से को भी बेचा जा सकता है। आप ने ऐसा ही हिस्सा खरीदा है। उस जमीन के जिस हिस्से पर बेचने वाले हि्स्सेदार के पास कब्जा था उस हिस्से का कब्जा आप को उस ने दे दिया। इस तरह आप एक अविभाजित संयुक्त संपत्ति के हिस्सेदार हैं और कब्जे में मिली जमीन का उपयोग कर रहे हैं। यदि आप उस पर भवन का निर्माण करते हैं तो वह भी संयुक्त स्वामित्व की हो जाएगी। इस तरह ऐसी संपत्ति पर निर्माण करने से आप को हानि होगी।

आप को चाहिए कि बंटवारे का दावा करें और अपना हिस्सा अलग कर उसका राजस्व विभाग में अलग खाता दर्ज कराएँ। जो हिस्सा आप को मिले उस पर मकान बनाएँ। हो सकता है जिस हिस्से पर आप काबिज हैं वही हिस्सा आप को मिले। हो सकता है उस में कोई हेर फेर हो। फिर राजस्व की भूमि पर मकान बनाने के लिए आप को राजस्व विभाग से भी अनुमति प्राप्त करनी होगी। आप बंटवारा करा लें, खाता अलग कराएँ, पिर मकान बनाने की अनुमति प्राप्त करें और मकान बनाएँ।

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