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दादा से पिता को उत्तराधिकार में किसी पुत्र-पुत्री को कोई अधिकार नहीं है।

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियमसमस्या-

सुशील कुमार शर्मा रोहिणी, दिल्ली से समस्या भेजी है कि-

मेरी पुत्री विवाह के पश्चात उस की सास द्वारा मेरी पुत्री के पति को गिफ्ट डीड (नोटरी से तस्दीकशुदा) से फ्लैट दिया वह उसी में रह रही है। पुत्री की सास के कई फ्लैट हैं जो वह किराये पर चलाती है। अब पुत्री की सास ने मेरी पुत्री को फ्लैट खाली करने का मुकदमा डाल दिया है। मेरा प्रश्न यह है कि क्या मेरी पुत्री का उसके फ्लैट में रहने का कोई कानूनी अधिकार है या नहीं? मेरी पुत्री के ससुर (अब स्वर्गीय) ने एक प्लाट खरीदा था जिस में सास भी भागीदार थी। बाद में वह प्लाट दोनों ने मिलकर आधा बेच दिया और उस से सास ने एक फ्लैट खरीद लिया जब कि ससुर ने बाकी बचे प्लाट पर ही पैसा खर्च कर मकान बना लिया। अब क्या मेरी पुत्री की पुत्री (मेरी नातिन पांच वर्षीय) अपने दादा की संपत्ति में दावा कर सकती है या नहीं। अभी नातिन की दादी और नातिन का पिता जीवित है।

समाधान-

गिफ्ट या दान एक संपत्ति हस्तान्तरण है, जो कि केवल रजिस्टर्ड विलेख के माध्यम से ही संभव है। नोटेरी से तस्दीक की गई गिफ्ट का कोई विधिक महत्व नहीं है। उसे न्यायालय के समक्ष सबूत के बतौर भी प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। वस्तुतः कोई भी दस्तावेज उस के शीर्षक से नहीं समझा जा सकता है। उस के समझे जाने के लिए उसे पूरा पढ़ना और व्याख्यायित करना पड़ता है। जो गिफ्ट डीड लिखी गई है उसे पढ़ कर ही जाना जा सकता है कि वह किस श्रेणी का दस्तावेज है और उस से आप की पुत्री को कया अधिकार प्राप्त हुए हैं। आप की पुत्री की सास ने जो मुकदमा किया है वह किस किस्म का है यह भी आप ने नहीं बताया है। उस में आप की पुत्री को उस ने लायसेंसी बताया है अथवा किराएदार? आप की पुत्री को चाहिए कि वह उक्त मुकदमे का प्रतिवाद करे।

प की दूसरे प्रश्न में खरीदा गया प्लाट पुत्री के सास-ससुर की संयुक्त संपत्ति थी। आधा प्लाट दोनों ने बेच दिया। उस विक्रय पत्र की प्रति से पता लग सकता है कि जो हिस्सा बेचा गया वह केवल पत्नी का बेचा गया या केवल पति का बेचा गया। यदि पत्नी का आधा हिस्सा बेचा गया तो शेष आधा हिस्सा केवल पति का ही रहा। यदि दोनों का हिस्सा बेचा होगा तो शेष हिस्से में भी दोनों का समान स्वामित्व रहेगा। उस भूखंड पर बनी संपत्ति का स्वामित्व भी इसी प्रकार से केवल पति का या पति-पत्नी दोनों का हो सकता है। हर स्थिति में कम से कम आधा हिस्सा तो आप की पुत्री के ससुर का ही होगा। यदि आप की पुत्री के ससुर के अन्य कोई उत्तराधिकारी नहीं होंगे अथवा पुत्री के ससुर ने कोई वसीयत नहीं की होगी तो पुत्री के ससुर के देहान्त के बाद उस संपत्ति में ससुर के हिस्से का आधा पत्नी को और आधा आप की पुत्री के पति को मिला होगा।

स तरह आप की पुत्री के पति को तो उस सम्पत्ति में हिस्सा मिला होगा। लेकिन आप की पुत्री की पुत्री अर्थात आप की नातिन को कोई हिस्सा या अधिकार उस संपत्ति में नहीं मिल सकता। क्यों कि हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में उत्तराधिकार में जीवित पुत्र की संतानों को सम्मिलित नहीं किया गया है।

प की पुत्री और उस की पुत्री को आप के दामाद से भरण पोषण लेने का अधिकार है जिस में दामाद के स्वामित्व की संपत्ति का मूल्य और उस से होने वाली आमदनी भरण पोषण की राशि के निर्धारण में महत्वपूर्ण हो सकती है।

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