पिताजी ने अपनी अर्जित आय से संपत्ति माँ के नाम खरीदी थी। संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा?
23/10/2009 | Hindu, Legal Remedies, Property, Succession, उत्तराधिकार, कानूनी उपाय, संपत्ति, हिन्दू | 7 Comments
| मुम्बई से वर्षा झा ने पूछा है …
सर!
हिन्दू संपत्ति कानून मुंबई महाराष्ट्र के हिसाब से माँ बेटियों और बेटों का संपत्ति बंटवारे का क्या अधिकार है? मेरे पिताजी ने मरने से पहले किसी प्रकार की कोई वसीयत नहीं बनाई । सारी जायदाद मेरे पिताजी द्वारा अर्जित की गई है और माँ के नाम पर है तो सर बंटवारे का क्या नियम है? और कितना वक्त लग सकता है?
उत्तर …
वर्षा जी!
हिन्दू उत्तराधिकार का नियम बहुत स्पष्ट है। किसी भी हिन्दू पुरुष ने वसीयत नहीं की हो तो उस के देहांत के उपरांत उस की संपत्ति में उस के प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी समान हिस्सों में भागीदार हो जाते हैं। प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों में, विधवा पत्नी, सभी पुत्र और पुत्रियाँ और माता सम्मिलित हैं। यदि पुत्र-पुत्रियों में से किसी की पहले ही मृत्यु हो गई हो तो उन के पुत्र पुत्रियां उस मृतक पुत्र या पुत्री के हिस्से के हकदार होंगे।
आप के मामले में आप के पिता ने केवल मकान ही संपत्ति के रूप में छोड़ा है और वह भी आप की माँ के नाम है। इस तरह वह मकान एक बेनामी संपत्ति है। बेनामी अंतरण अधिनियम 1988 के अनुसार अब बेनामी संपत्ति का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है और कोई भी संपत्ति उसी की मानी जाती है जिस के नाम वह संपत्ति होती है. लेकिन उस में यह अपवाद भी है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी या अविवाहित पुत्री के नाम से खरीदी जा सकती है लेकिन उस स्थिति में यही माना जाएगा कि जिस व्यक्ति ने उक्त संपत्ति खरीदी है वह जिस के नाम से खरीदी है उस के ही लाभ के लिए खरीदी है।
इस कानून में एक अपवाद यह भी है कि किसी अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार के सदस्य के नाम कोई भी संपत्ति पूरे परिवार के लाभ के लिए खरीदी जा सकती है। लेकिन अदालत में यह प्रमाणित करना होगा कि संपत्ति पूरे परिवार के लाभ के लिए खरीदी गई थी। ऐसा प्रमाणित हो जाने पर वह संपत्ति पूरे संयुक्त परिवार की होगी और सभी उस संपत्ति के हिस्सेदार होंगे। आप के मामले में बहुत से तथ्य ऐसे हैं जिन की व्यक्तिगत रूप से जानकारी के बाद ही यह तय किया जा सकता है कि आप की माता जी के नाम जो संपत्ति आप के पिता ने खरीदी थी उसे संयुक्त परिवार की संपत्ति माना जाएगा अथवा केवल आप की माता जी की संपत्ति माना जाएगा। इस प्रश्न पर कोई भी वकील दस्तावेजों के अध्ययन के उपरांत ही स्पष्ट राय दे सकता है। आप के लिए यह उचित होगा कि आप उक्त संपत्ति के स्वामित्व के दस्तावेजात की प्रमाणित प्रतियाँ संबंधित उप पंजीयक से प्राप्त कर संपत्ति के मामलों की जानकारी रखने वाले वकील को दिखाएँ और स्पष्ट राय प्राप्त करें।
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7 Comments
मेरी एक समस्या है उसका उत्तर मिल सकता है kya
subject-seema langh kar kabja kar le to kya karen?
sir nav varsh ki subh kamnayen,mera nam vinod hai mai rajasthan ka mool nivasi hoon gaven me hamara bhookhand 0.61 hai jis me1/2 ka mai aur 1/2 me doosra aadmi hai yeh aadmi meri seema me lag bhag 12meeter mere hisse ki jameen me kabja kar liya hai maine 4 mahine pahle seema gyan karvaya tha parantu patwari ne mere hisse ki jameen kahan tak hai ka seema gyan karane se inkar kar diya jab ki mai tahsil se aadesh patra le kar aaya tha kripaya meri samsya ka samadhan karne ki karipa karen!
बहुत बढ़िया जानकारी है ….. इससे काफी लाभान्वित होंगे.
बहुत बढिया जानकारी मिल रही है.
रामराम.
दिनेश जी आप की बात समझ मै नही आई आज, अगर कोई आदमी अपनी पत्नी के नाम से मकान या कोई संपत्ति बनाता है, ओर फ़िर उन दोनो के मरने कए बाद वो संपत्ति या मकान आनामी कहलायएगा या बाकी बचे परिवार के नाम होगा? कृप्या दोबारा से बिस्तार से समझाये आप की मेहरबाणी होगी.
धन्यवाद
चलो एक और काम की जानकारी मिल गयी आभार्
हमे तो लग रहा था कि इसका सीधा-सादा उत्तर होगा लेकिन इसमें भी बहुत पेंच हैं । भविष्य मे इसकी विस्तार से जानकारी दीजियेगा ।
इलहाबाद मे ब्लॉगर सम्मेलन हो रहा है ठीक इसी वक़्त और आप इस महत्वपूर्ण कार्य मे लगे हैं इसे कहते है कर्मठ ब्लॉगर .. बधाई ।