विवाह वैध न होने पर भी संतानें वैध हैं और पिता की उत्तराधिकारी हैं।
समस्या-
सन्तोष कुमार ने अंबानगर, रांची, झारखण्ड से पूछा है –
मेरे पिताजी रांची यूनिवर्सिटी में हैड क्लर्क के पोस्ट पर कार्यरत थे। मेरी 2 बहनें और मैं अकेला भाई हूँ। आज से 4 साल पहले सब कुछ ठीक था। एक दिन पिताजी बहुत दिनों के बाद अपने भाई से मिलने अपने गाँव गये और लौटने के बाद उनके बहुत परिवर्तन आ गया। वो छोटी छोटी बातों में माँ से लडाई करने लगे। धीरे धीरे लडाई इतनी बढ गई की एक दिन उन्होंने मेरी माँ पे जानलेवा हमला कर दिया, जिसमें माँ बहुत बुरी तरह से घायल हो गई। फिर हम लोगों ने पिताजी पर मुकदमा कर दिया और साथ में परिवार न्यायालय में जीवन निर्वाह के लिये पैसे की माँग की। पिताजी ने भी हम लोग पे केस किया। कोर्ट द्वारा 6000 रुपए मिलने लगे। पिताजी रिटायर हो गये थे। बाद में पिताजी लकवाग्रस्त हो गये। फिर मेरी माँ पिताजी को हॉस्पिटल ले के गई। इस बीच मुझे भी कैन्सर की बिमारी हो गई थी। पिताजी बोले मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा ठीक होने पे जो भी तुम लोग के बिरुद्ध कोर्ट मे किया हूँ वापस ले लूंगा और बेटे का भी इलाज करा दूंगा। ये सब बोलने के एक दिन के बाद ही उनका निधन हो गया। जब हम लोग पेन्शन के लिये युनिवर्सिटी गये तो वहाँ के अधिकारी ने कहा की आपके पति ने कोर्ट में लिखकर दिया है की वे दो विवाह किये थे और आपकी माँ उनकी दूसरी पत्नि है। इसलिये आपकी माँ को पेन्शन नहीं मिल सकता है। मेरे पिताजी ने आज से 30 बर्ष पहले विवाह किया था जिसे भी पिताजी मार पीट कर भगा दिया था। बाद में उस महिला ने दूसरे से विवाह कर लिया था। अब हम लोग पेंन्शन के लिये कोर्ट गये हैं लेकिन 2 साल हो गये कुछ नहीं हो पा रहा है। वकील पेन्शन से संबंधित कागजात माँग रहा है। यूनिवर्सिटी ने कुछ भी देने से इन्कार कर दिया है। मेरी दो बहन हैं, दोनों का विवाह करना है। अगर कोई उपाय है तो बताने की कृपा करें।
समाधान-
आप के पिता ने पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दूसरा विवाह किया। इस कारण से दूसरा विवाह वैध नहीं है। पहली पत्नी ने दूसरा विवाह कर लिया। अनेक वर्षों से वह दूसरे पति के साथ रहती है। जबकि आपके पिता ने स्वयं यूनिवर्सिटी के समक्ष लिख कर दिया है कि आपकी माताजी से उन्हों ने दूसरा विवाह किया था। यह इस बात का सबूत है कि अनेक वर्षों से आपकी माँ उनके साथ पत्नी की तरह रहती थी और आप तथा आपकी दोनों बहनें उनकी संतानें हैं। इस मामले में यदि साथ रहने और न रहने की लम्बी अवधियों को माना जाए तो पहली पत्नी से तलाक और दूसरी के साथ विवाह को माना जा सकता है। लेकिन यह लंबी लड़ाई है, जिसे शायद आप और माता जी न लड़ पाएँ।
आप की माताजी के संबंध में कोई विवाद हो सकता है, लेकिन आप और आपकी बहनें तो उनकी वैध संतानें हैं इस कारण आपके पिता का उत्तराधिकार आप को प्राप्त होना चाहिए। यदि नौकरी में रहते उनकी मृत्यु हुई थी तो आप तीनों में से कोई भी अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त कर सकता है। उसके लिए आवेदन करें।
आप व आपकी बहनों में से कोई नाबालिग है तो उन्हें पेंशन के लिए अलग से आवेदन करना चाहिए। उन्हें पेंशन मिल सकती है। यदि युनिवर्सिटी कागजात नहीं बता रही है तो लीगल नोटिस दें और सूचना के अधिकार के अन्तर्गत सूचना मांगी जा सकती है। यदि आप तीनों भाई बहन उनके जो भी लाभ युनिवर्सिटी के पास बकाया हैं उनके लिए दावा कर सकते हैं। इसके साथ ही आप उनकी व्यक्तिगत संपत्ति में भी उत्तराधिकार प्राप्त करने के लिए वाद संस्थित कर सकते हैं। आप के मामले जटिल हैं इस कारण ऐसे वकील की सेवाएँ प्राप्त करें जो सेवा सम्बन्धी मामले देखता हो और जिसे दीवानी मामलों का अच्छा अनुभव हो।