1955 तक हिन्दू विधि में विवाहिता पुत्री को पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं था।
समस्या-
मेरे नाना के दो संताने थी, एक लड़का और एक लड़की मेरे नाना की मृत्यु 1925 के लगभग हो गई थी और मेरे माँ की मृत्यु लगभग 1940 मे हो गई। मेरे नाना की 9 एकड़ ज़मीन थी जो कि अभी मेरे मामा के लड़के और लड़की के नाम पर है। क्या मुझे मेरे माँ के हिस्से की ज़मीन मुझे मिल सकती है। अगर मिल सकती है तो क्या इसमें मेरी बहन का और मेरे भानजे का भी हक भी रहेगा?
– राजेश कुमार गुप्ता, बीरसिंघपुर, जिला उमरिया मध्यप्रदेश
समाधान-
आप के नाना की मृत्यु 1925 मे तथा माँ की मृत्यु 1940 में हो गयी थी। आप की उम्र 80 वर्ष या उस से अधिक हो चुकी होगी। आप अपने हिस्से की लड़ाई अब लड़ना शुरू करेंगे तो कब खत्म होगी। कभी यह सोचा आपने?
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 17 जून 1956 को अस्तित्व में आया। पुरानी हिन्दू विधि में विवाहित पुत्री का पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता था। इस कारण आप के नाना की मृत्यु के समय आप की माता जी को उत्तराधिकार में नाना की संपत्ति प्राप्त नहीं हुई। फिर 1940 में उनकी भी मृत्यु हो गयी। चूंकि आप की माँ को ही उन के पिता की संपत्ति में कोई अधिकार उत्पन्न नहीं हुआ था। इस कारण आप का कोई भी अधिकार उक्त संपत्ति में कभी भी उत्पन्न नहीं हुआ।
आप को अपने नाना की संपत्ति में जिस पर अब आप के मामा के पुत्र-पुत्री का स्वामित्व है, आप का कोई हिस्सा नहीं है। वह आप को नहीं मिल सकती।
हम एक बात और कहना चाहते हैं कि पितृसत्ता की जड़ें हमारे दिमागों में इतनी मजबूत हैं कि आप अपने नाना की संपत्ति में माँ का हिस्सा तो चाहते हैं लेकिन अपनी बहिन और भानजे के हक के बारे में सवाल पूछते हैं। यदि आप की माँ को उनके पिता की संपत्ति में हिस्सा मिला होता तो आज आप बहिन का भी उस में हिस्सा होता। भानजे का जरूर बहिन के जीवित रहते उस में कोई हक नहीं होता।