दत्तक ग्रहण मौखिक साक्ष्य तथा सहायक दस्तावेजी साक्ष्य को साबित किया जा सकता है।
समस्या-
एक आदमी दत्तक अधिनियम 1956 प्रभावी होने से पहले किसी अन्य के गोद/ दत्तक चला गया। वह रेल्वे में नोकरी करता था। उसके दस्तावेज जैसे वोटर कार्ड, पेंशन आदि मे उसके गोद लेने वाले का नाम अंकित है। अब गोद लेने वाले और देने वाले माता पिता मर चुके हैं। गोद वाला आदमी भी मर चुका है। उसके पास गोदनामे का कोई लिखित दस्तावेज नहीं है। अब गोद वाले आदमी के पुत्र ने अपने हिस्से के लिए वाद दायर किया है। ये कानूनी सही है? मौखिक गोद/ दत्तक ग्रहण सही है?
– प्रवीण कुमार, जयपुर (राजस्थान)
समाधान-
दत्तक अधिनियम 1956 प्रभावी होने के पहले तक दत्तक ग्रहण प्राचीन परंपरागत हिन्दू विधि से शासित होती थी। दत्तक अधिनियम 1956ल के अनुसार भी दत्तक ग्रहण के लिए किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। उसे गवाहों के माध्यम से साबित किया जा सकता है। केवल सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र में अनुकंपा नियुक्ति के जो नियम बने हैं उनमें यह नियम है कि दत्तक ग्रहण पंजीकृत होना चाहिए। अन्य प्रयोजनों से मौखिक दत्तक वैध है।
दत्तक ग्रहण को साबित करने के लिए यह साबित किया जाना जरूरी है कि कोई समारोह हुआ था। जिसमें लोग उपस्थित थे और दत्तक देने वाले और दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता उपस्थित थे। समारोह में उपस्थित लोगों को कुछ उपहार (नारियल आदि) बांटे गए थे तथा रिश्तेदारों ने दत्तक पुत्र को कुछ उपहार दिए थे। ढोल आदि मंगल वाद्य बजाए गए थे। यदि दत्तक ग्रहण का कोई गवाह जीवित न हो तो मृत लोगों द्वारा बताए गए विवरण के साक्षी भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
इस के अतिरिक्त दत्तक पुत्र के पास जो दस्तावेज हैं जिनमें दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता का नाम माता पिता के रूप में दर्ज है वे भी दस्तावेजी साक्ष्य हैं। इस के साथ ही लोगों के बयान कि दत्तक पुत्र अपने दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता के साथ पुत्र की भाँति रहता था यह साक्ष्य भी समर्थन करेगी। इस तरह मौखिक गवाही से दत्तक ग्रहण साबित किया जा सकता है।