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जबरन मकान छीना या बेचा नहीं जा सकता

समस्या-

बाबा दत्त शुक्ला ने गोंडा जिला, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरे पिता की दो शादियां हुई थीं, मेरे पिता सरकारी सेवा में थे। मेरी प्रथम माता का निधन 1978 में होने के उपरान्त मेरी माता से पिता का विवाह 1984 में हुआ था। पहली माता से एक पुत्र थे, जिनका हाल में ही निधन हुआ है। वे 1999 से बाहर बड़ी कंपनी में महाराष्ट्र में जॉब करते थे। हम दो भाई विवाहित व दो बहनें अविवाहित हैं। तथा हम अपने पिता के द्वारा बनाये दो मंजिला 21X30 फुट के मकान में रहते हैं। जिसमें एक दुकान माता जी ने किराये पर दे रखी है व बाकी हिस्से में हमारा निवास है। उक्त मकान का नगर पालिका हाउस टैक्स रिकॉर्ड मेरे पिता के नाम पर 40 वर्ष से है बस, बाकी कोई कागज़ उक्त मकान के नहीं हैं। पिछले दिनों भाई के निधन के बाद से हमारी सौतेली भाभी व उनके रिश्तेदार मकान में ऊपरी पूरी मंजिल व नीचे की दो दुकाने पंचायत करके जबरन लेना चाहते हैं। वे हर तरह से डरा धमका रहे हैं। हमारे पास रहने को यही मकान है। भैया के पास राजस्थान में मकान व अच्छी खासी आय थी। जबकि मेरे सगे भाई व मेरी आजीविका खेती पर निर्भर है। मेरी माता निरंतर अस्वस्थ हैं व दो बहनें अविवाहित हैं।
कृपया मुझे बताएं कि क्या मेरी भाभी मेरा मकान पंचायत या जबरन ले सकती है?- उनका कितना अधिकार मेरे पिता के मकान व खेती की जमीनों आदि पर है? वे कहती हैं कि मेरे बच्चे 16 व  बच्ची 17 साल के हैं, उनका अधिकार आधी संपत्ति पर है। क्या वो मेरे मकान को जबरन बेच भी सकती हैं?

समाधान-

आपके पिता की पहली पत्नी की मृत्यु 1978 में हो गयी। उस समय उनका एक पुत्र मौजूद था। पहली पत्नी के नाम यदि कोई स्थायी सम्पत्ति रही होगी तो उसका उत्तराधिकार आपके पिता और पहले पुत्र को प्राप्त हुआ होगा। यदि कोई सम्पत्ति पहली पत्नी के नाम अब भी है तो उस पर आधा अधिकार पहले पुत्र को है आधा अधिकार आपके पिता को चला गया।

आपने यह नहीं बताया कि आपके पिता मौजूद हैं या उनका देहान्त हो चुका है। पर आपके प्रश्न से लगता है कि उनका भी देहान्त हो चुका है। वैसी स्थिति में शेष जो सम्पत्ति है, अर्थात खेती की जमीन और मकान। खेती की जमीन पर उत्तराधिकार उत्तर प्रदेश के उस कृषि कानून के अनुसार होगा जो आपके पिता की मृत्यु के दिन प्रभावी था। उसके सम्बन्ध में हम फिलहाल कोई राय प्रकट करने में असमर्थ हैं।

जहाँ तक मकान का प्रश्न है आपके पिता के देहान्त के उपरान्त मकान का उत्तराधिकार आपकी माँ, आप चारों भाई बहन, एवं एक पूर्व पत्नी से उत्पन्न पुत्र को प्राप्त हुआ। ये सब कुल छह लोग हैं। इन सबका अधिकार समान है।  इसका सीधा अर्मथ यह है कि मकान पर आपके सबसे बड़े भाई का अधिकार 1/6 था अब उसकी मृत्यु के उपरान्त भी उसका अधिकार मकान के 1/6 हिस्से पर ही है।  

अब आपके प्रश्नों का उत्तर इस तरह है कि पंचायत को किसी तरह का निर्णय करने का कोई अधिकार नहीं है न ही पंचायत मकान को जबरन ले सकती है। पंचायत केवल आपस में बंटवारे का राजीनामा करवा सकती है जो सभी उत्तराधिकारियों के सहमत होने पर ही हो सकता है। वह भी तभी मान्य हो सकता है जब कि उसे पंजीकृत कराया जाए। इस तरह पंचायत की भूमिका मात्र मध्यस्थ की है।

उनका मकान के केवल 1/6 हिस्से पर अधिकार है। वे  मकान या उसका कोई हिस्सा जबरन नहीं बेच सकती हैं। आप चाहें तो दीवानी न्यायालय में दावा कर के मृत भाई की पत्नी और उनकी सन्तानों के विरुद्ध आपके मकान में विधिक प्रक्रिया के बिना प्रवेश पर रोक लगाने के लिए स्थायी अस्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं।

जहाँ तक खेती की जमीन में हिस्से का प्रश्न है। यह इस पर निर्भर करेगा कि आपके पिता की मृत्यु की तिथि को क्या विधि खेती की जमीनों पर प्रभावी थी। पूर्व में उत्तर प्रदेश में अविवाहित पुत्रियों को पिता का उत्तराधिकार प्राप्त नहीं था। अब वह प्राप्त है। यदि आपके पिता की मृत्यु नयी विधि प्रभावी होने के पूर्व हो चुकी थी तो आपकी बहनों के उसमें हिस्से नहीं होंगे और सम्भवतः आपकी माता और तीनों भाइयों के चार हिस्से होंगे और एक चौथाई का अधिकार आपके मृत भाई के उत्तराधिकारियों का होगा। यदि आपके पिता की मृत्यु बाद में हुई है तो छह हिस्से होंगे और कृषि भूमि में भी केवल 1/6 हिस्सा ही आपके मृत भाई के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगा।

हमारा मानना है कि आपको तुरन्त दीवानी मामलों के किसी वरिष्ठ स्थानीय वकील से परामर्श करके कार्यवाही करना चाहिए।

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