DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

विधवा व उसके बच्चों के पति की संपत्ति में अधिकार

समस्या-

मेरे पिता (62 वर्ष) द्वारा अपनी संपत्ति  का बटवारा नहीं करने के कारण 2014 से हम लोगों से अलग और दूर रह रही हमारी विधवा भाभी ने 2019 में मुझे नौकरी मिलने के बाद घर वापस आकर साजिश कर के मेरे और मेरे पिताजी  के खिलाफ 323, 504, 326, 342 में FIR दर्ज करवा दी और मुझे जेल भिजवा दिया। मैं अभी उच्च न्यायालय  से ज़मानत पर बाहर हूँ और मेरे पिताजी को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। पुलिस ने अपने चार्जशीट में मेरे खिलाफ 323, 504, 324, 342, 307 लगाया है और पिताजी की विवेचना प्रचलित लिखा है।  कृपया मुझे बताएँ कि 323, 504, 326, 342 में ज़मानत होने के बाद चार्जशीट में लगी धारा 324, 307 में फिर से ज़मानत करानी पड़ेगी क्या? क्या पुलिस को एप्लीकेशन देने के कितने समय बाद तक 156(3) में कोर्ट से FIR का आदेश करा सकते हैं? कृपया  यह भी बताएँ विधवा भाभी जिसके तीन नाबालिक बच्चे  है किसी भी क़ानून के तहत अपने वरिष्ठ  नागरिक सास-ससुर या  अपने देवर से संपत्ति में हिस्सा या भरण पोषण ले सकती  है क्या?

-राहुल कुमार प्रजापित, चिलकादंड बस्ती, शक्तिनगर, जिला सोनभद्र, (उ.प्र.)

समाधान-

आप के मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट, आप की जमानत का आदेश और चार्जशीट को पढ़ने के बाद ही अन्तिम रूप से कुछ परामर्श दिया जा सकता है। फिर भी हमारी राय में जिस प्रथम सूचना रिपोर्ट में आप की जमानत हो चुकी है उस में दुबारा से जमानत कराने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी आप को इस मामले में उच्च न्यायालय के अपने वकील से परामर्श कर लेना चाहिए क्यों कि वे मामले से ठीक से परिचित हैं।

यदि किसी ने पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दे दी है और पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया है तो आप को चाहिए कि आप इलाके के एस.पी. को सूचना दें की थाने ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की है। आपको एस.पी. और थाने को दी गयी रिपोर्टों की प्राप्ति स्वीकृति (रसीद) होनी चाहिए। आप इन दोनों पत्रों को देने के अगले दिन या उस के बाद कभी भी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है। यह मजिस्ट्रेट पर निर्भर करता है कि वह धारा 156(3) दंड प्र. संहिता में मामले को पुलिस को अन्वेषण के लिए भेजता है या फिर न्यायालय में ही जाँच कर के प्रकरण दर्ज करता है।

जहाँ तक भाभी द्नारा उसकी खुद की ओर से तथा उसके बच्चों की ओर से भरण पोषण का आवेदन देने प्रश्न है तो उनकी ओर से दादा दादी तथा चाचा के विरुद्ध धारा 125 दं.प्र.संहिता के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। लेकिन महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत तथा हिन्दू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम 1956 के अंतर्गत भरण पोषण के लिए आवेदन किया जा सकता है।

यदि आप के पिता के पास कोई भी सहदायिक (पेतृक) संपत्ति है जिस में आपके मृत भाई को जन्म से अधिकार प्राप्त था तो आपकी भाभी व उन के बच्चों को आप के भाई के हिस्से में उत्तराधिकार प्राप्त हो चुका है। आपकी भाभी उनकी और अपने बच्चों की ओर से उस संपत्ति के विभाजन और उनका हिस्सा प्राप्त करने के लिए संपत्ति के विभाजन का वाद संस्थित कर सकती है।  

Print Friendly, PDF & Email